Exposed part : 8
टैक्सी में बैठ कर वह चारों क्लब तक पहुंचे, उन की कारें अभी भी उसी क्लब की पार्किंग में पार्क थी ! सुबह के 6:00 का वक्त था; इसलिए वहां पर बहुत ही कम लोग थे जिस वजह से सब से नजर बचा कर रोहित , कबीर , मीरा और विशाल का अंदर पहुंचना काफी आसान था, लेकिन फिर भी वह चारो बहुत ही ध्यान से आगे बढ़ रहे थे ताकि किसी की भी नजर उन चारों पर ना पड़े और अवनी को ढूंढने के लिए उन्हें समय मिल पाए।
क्लब के अंदर पहुंच कर उन लोगों ने देखा कि अभी क्लब में सिर्फ कुछ स्टाफ के लोग ही हैं; वह भी बहुत कम संख्या में ही है , अंदर जाकर वह लोग दो दो के ग्रुप में बंट गए, जिसज्ञसे कि ज्यादा से ज्यादा जगह पर अवनी को ढूंढ पाएं, विशाल और मीरा एक तरफ गए; जबकि रोहित कबीर दूसरी तरफ.....
रोहित और कबीर के दूसरी तरफ जाते ही विशाल ने मीरा का हाथ पकड़ कर उस से कहा - "तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था, मीरा! तुम नहीं जानती यह लोग कितने खतरनाक है? अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं और रोहित भैया खुद को कभी माफ नहीं कर पाएंगे।"
विशाल की इस बात पर मीरा भी थोड़ा इमोशनल हो गई कि विशाल को उस की इतनी फिक्र है उस ने यह नहीं सोचा था, लेकिन खुद को संभालते हुए वह विशाल से बोली - "देखो विशाल! अवनी मेरी बहन है और यहां पर मैं सिर्फ उसकी वजह से आई हूं; उसे बचाने के लिए और अपनी मर्जी से यहां आई हूं, तो अगर मुझे कुछ भी हो जाता है, तो उसका इल्जाम तुम पर या रोहित जीजू या कबीर किसी पर भी नहीं आएगा।"
इस पर विशाल मीरा की बात बीच में काटते हुए ही बोल पड़ा - "ऐसा मत बोलो मीरा, मेरा वह मतलब नहीं था, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा और हम अवनी भाभी को भी जल्दी ही ढूंढ लेंगे।"
"ठीक है, चलो उस तरफ देखते हैं" - इतना कह कर मीरा एक तरफ बढ़ गई और विशाल भी उस के पीछे पीछे हो लिया।
इसी तरह उन लोगों ने कई जगह पर अवनी को ढूंढा लेकिन उन दोनों को वह कहीं नहीं मिली लेकिन फिर भी उन दोनों ने उसे ढूंढना जारी रखा।
उधर दूसरी तरफ कबीर और रोहित दोनों अलग-अलग दिशाओं में अवनी को ढूंढ रहे थे, उन्होंने सोचा कि क्यों ना एक बार उसी तहखाने में जा कर देखा जाए, जहां पर वो सभी कैद थे, उन लोगों ने शायद अवनी को वहीं रखा हो।
इस पर कबीर ने भी रोहित की बात से सहमति जताते हुए कहा - "हां यार! कह तो तू सही रहा है, चल कर देखते हैं।"
"लेकिन पहले विशाल और मीरा को बता देना चाहिए कि हम दोनों कहां जा रहे हैं; नहीं तो हो सकता है, वह लोग हम दोनों को ढूंढते हुए किसी मुसीबत में ना फंस जाएं।"
"हां, ठीक है एक काम कर तू जाकर विशाल और मीरा को बता दे; जब तक मैं तहखाने की तरफ जाता हूं।" - रोहित ने कबीर को सलाह देते हुए कहा
उसकी बात सुनकर कबीर बोला - "नहीं, वहां अकेले जाने में खतरा हो सकता है; मैं तुझे अकेले नहीं जाने दे सकता और रही बात विशाल और मीरा की तो वह दोनों इतने समझदार है कि खुद को संभाल सकते हैं।"
'अरे! कबीर, लेकिन तू समझ क्यों नहीं रहा है मैं तेरी या किसी और की लाइफ डेंजर में नहीं डालना चाहता हूं और अगर अवनी को बचाने में मैं पकड़ा गया, तो कम से कम मैं अकेला ही फसूंगा और तुम लोग बाहर सही सलामत होगे, हम दोनों को बचाने के लिए..." - रोहित ने कबीर को समझाते हुए कहा
रोहित की बात सुनकर थोड़ा सोचने के बाद कबीर ने कहा - "अच्छा ठीक है, लेकिन अगर वहां तहखाने में अवनी नहीं हुई तो तू मुझे यहीं पर मिलना और ध्यान से जाना, अपना ख्याल रखना", कह कर कबीर ने रोहित को गले लगा लिया।
इस पर वह दोनों थोड़ा इमोशनल हो गए, तो रोहित ने दोनों को संभालते हुए कहा - "अरे यार! बस कर, रुलाएगा क्या? उस की इस बात से कबीर भी हल्का मुस्कुरा दिया, और फिर वह दोनों अलग-अलग दिशा में चले गए रोहित तहखाने की तरफ और कबीर विशाल और मीरा को ढूंढने..."
तहखाने की तरफ जाने वाले रास्ते में रोहित को कुछ लोग आते जाते हुए दिखाई दिए , उन लोगों को देख कर रोहित एक दीवार के पीछे छुप गया और थोड़ी देर तक रोहित उन लोगों से छिपा रहा और कुछ समय बाद रोहित ने यह नोटिस किया कि एक छोटे कमरे के बाहर दो आदमी पहरा दे रहे थे जैसे कि अंदर कोई चीज हो या कोई इंसान या फिर अवनी, जिसे कि उन लोगों ने यही कैद करके रखा हो।
यह सोच कर रोहित ने मन ही मन निश्चय किया कि तहखाने में जाने से पहले वह एक बार इस कमरे में अंदर जाकर ज़रूर देखेगा कि वहां क्या है? हो ना हो जरूर कुछ ना कुछ तो है।
उधर दूसरी तरफ कबीर, विशाल और मीरा को ढूंढता रहता है तो उसे समझ नहीं आता; वह उन गलियारों में कुछ भटक सा जाता है कुछ देर बाद ध्यान से देखने पर जब उसे रास्ते समझ आते हैं, तो वह भाग कर एक ओर पहुंचता है; जहां कुछ दूर पर मीरा और विशाल एक कमरे के खुले दरवाजे से झांक करे कुछ देख रहे थे या यूं कह लो कि देखने की कोशिश कर रहे थे और मीरा अपने मोबाइल फोन में वीडियो रिकॉर्डिंग भी कर रही थी, यह सब देख कर कबीर को इतना तो समझ में आ गया वहां वही सब हो रहा है जोकि पार्टी वाली सुबह अवनी, रोहित और विशाल ने देखा था।
कबीर ने विशाल और मीरा को आवाज नहीं लगाई; वह धीरे से जाकर उन दोनों की पीछे खड़ा हो गया और विशाल के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला - "क्या कर रहे हो तुम दोनों यहां; अवनी मिली या नहीं??
कबीर के यूं अचानक हाथ रखने से विशाल एकदम चौंक गया और मीरा भी; मीरा के हाथ से तो लगभग मोबाइल फोन छूटने ही वाला था, उन दोनों ने घबराकर पीछे मुड़कर देखा तो कबीर को देख कर उन की सांस में सांस आई।
"अरे कबीर! तुम हो मैं तो डर ही गया था" - विशाल ने कहा
चलो, यहां से दूर हट कर बात करते हैं; नहीं तो अगर अंदर बैठे किसी की भी नजर हम तीनों में से किसी पर पड़ गई तो पता नहीं हमारे साथ क्या करेंगे?" - मीरा ने उधर से हटने का इशारा करते हुए विशाल और कबीर दोनों से कहा
उसके बाद वह तीनों उस कमरे से दूर आकर एक जगह पर छिप गए, जहां पर उन्हें कोई आसानी से देख वा सुन ना पाए।
वहां पर पहुंचकर मीरा ने सबसे पहले अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया वीडियो सेव किया और उसके बाद कबीर से पूछने लगी कि रोहित कहां है?
विशाल ने भी कबीर से यही प्रश्न किया; इस पर कबीर ने जवाब दिया - "हां, यही बात बताने के लिए तो मैं तुम दोनों को ढूंढ रहा था" और फिर विशाल की तरफ देख कर बोला - "तुम्हें याद है विशाल! वह तहखाना, जहां हम पांचों बंद थे?"
"हां, बिल्कुल याद है; कितनी मुश्किल से निकले थे, हम वहां से उस मनहूस जगह को भला कैसे भूल सकता हूं मैं" - विशाल ने कबीर की बात का जवाब देते हुए कहा
"हां, तो मुझे और रोहित दोनों को शक था कि शायद उन लोगों ने अवनी को भी वहीं पर कैद करके रखा होगा, तो रोहित अवनी को ढूंढने उसी तहखाने वाली जगह पर गया है।" - कबीर बोला
"ओह वाओ! कबीर और आपने रोहित भैया को अकेले वहां जाने दिया, कितना खतरा होगा वहां? हमें पता भी नहीं" - विशाल ने कबीर को ताना मारते हुए कहा
"अरे नहीं विशाल! मैं भी उसे अकेले जाने नहीं दे रहा था लेकिन रोहित ने ही मुझे समझाया कि अगर हम दोनों साथ में जाते और वहां फंस जाते हैं, तो तुम दोनों को पता भी नहीं चल पाता; इसलिए उसने मुझे तुम दोनों के पास आने को कहा यह बताने के लिए और अब कम से कम हमें पता तो है कि रोहित कहां गया है तो अगर वह कोई मुसीबत में फंसता है तो हम उसे बचा सकते हैं!" कबीर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा
कबीर की इस बात पर मीरा ने भी सहमति जताते हुए विशाल को समझाया - "कबीर बिल्कुल सही कह रहे हैं, चलो अब हम तीनों भी उसी तरफ चल कर देखते हैं।"
उधर रोहित उस कमरे के बाहर खड़ा, इस बात का इंतजार कर रहा था कि उन में से एक पहरेदार कहीं चला जाए, तो वह दूसरे का ध्यान भटका कर उस कमरे में जा सकता है। रोहित वहां खड़े खड़े इस बारे में ही सोच रहा होता है।
तभी थोड़ी देर बाद उन में से एक आदमी कहीं चला जाता है; यह देखकर रोहित वहां पर पढ़ी एक चीज उठा कर अपने से विपरीत दिशा में फेंक देता है जिससे कि उस दूसरे आदमी का ध्यान उसकी तरफ चला जाए।
लेकिन ऐसा नहीं होता वह आवाज बहुत धीमी होती है शायद वह कमरे के बाहर खड़ा आदमी उसे सुन भी नहीं पाता इसलिए इस बार रोहित एक बड़ा गुलदस्ता उठा कर अपने से दूर फेंक कर तोड़ देता है जिस की आवाज सुनकर उस आदमी को थोड़ा शक होता है कि शायद वहां पर कोई है इसलिए वह कमरे के दरवाजे से थोड़ा दूर हट कर देखने के लिए चला जाता है कि आवाज कहां से आई है?
तभी रोहित को मौका मिल जाता है और वह जल्दी से कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ता है......
क्रमशः
Zaifi khan
30-Nov-2021 07:29 PM
Good
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Ammar khan
30-Nov-2021 12:23 PM
Very nice
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Hayati ansari
29-Nov-2021 08:51 AM
Very best
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