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माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 10)

भाग - 10
प्रविष्ठ मुद्रा एक दुसरे को गले लगाए बैठे थे,
तभी नवनीत आते हुए - अरे प्रविष्ठ भईया भौजाई से रोमांस का मौका मिल जाएगा बाद में, पहले इलाज तो करवा लीजिए।

मुद्रा प्रविष्ठ से अलग होकर थोड़ा दूर बैठ जाती है। स्नेहल और आलोक आते है।

स्नेहल - मुद्रा बात हो गई..? चले..?

प्रविष्ठ - अरे हम तो बात किए ही नही...!

नवनीत तिरछी नजरों से - तो क्या कर रहा था..?

प्रविष्ठ - अरे ..... मौत के मुंह से निकल वापस मुद्रा से मिला तो बस हम एक दूसरे को गले लगाए बस बैठें रह गए...!

आलोक - तो अब करो न.... प्रपोजल । कह दे प्रविष्ठ दिल की बात...!

मुद्रा शरमाते हुए - प्रविष्ठ जी तो बैंक में ही बोल दिए थे अपने जज्बात.......बस मेरा जवाब ही नहीं सुने

प्रविष्ठ - तो सुनाओ न....!


तभी सुमेध आते हुए - प्रविष्ठ डॉक्टर आ रहे है चेक अप के लिए। और आप लोगो को जाना होगा अब...!

सभी लोग सुमेध को खा जाने वाली नजरो से घूरते है।
सुमेध - मुझे घूर क्यू रहे है ये लोग...?

सुमेध अपने चश्मे निकाल उन्हे घूरते हुए - क्या है...?

सभी चुप चाप उठकर बाहर जाने लगते है।
स्नेहल - चल चल चलते है देर हो रही।

मुद्रा - ह...हा , प्रविष्ट जी मेरा जवाब बाद में सुन लेना।

प्रविष्ठ मायूस होकर - ये हिटलर अपने तो सेटिंग नही करेगा , दूसरो को भी नही करने देगा। तू भी रोएगा सुमेध,,तू भी रोएगा

सुमेध - क्या..? 

प्रविष्ठ - कुछ नही। बुलाओ डॉक्टर का आज पूरा इलाज ही कर दे, मै तो बोलता हु गुर्दे फेफड़े किडनी सबका इलाज कर दे

आलोक - सुमेध तेरे लिए एक ही सोंग बना है आई हेट लव स्टोरी.....!

सुमेध - यस it's माय फेवरेट सॉन्ग। वैसे किसकी लव स्टोरी में आज तक विघ्न डाला मै..?

नवनीत - मुंह मत खोलवा....विघ्न डाल के बोलेगा क्या हुआ..? सब विघ्नहर्ता बनने है तू विघ्नकर्ता है।

सुमेध हाथ फैलाते हुए - हुआ क्या है..?

मुद्रा - कुछ नही ।

और दोनो जाने लगती है , की स्नेहल अचानक से रुक जाती है। क्युकी उसका दुपट्टा पीछे से जैसे कोई पकड़ा हो।

स्नेहल घबराते हुए - जी.....जी दुपट्टा क..क्यू पकड़े

तभी सुमेध अपना हाथ ऊपर कर - मै क्यू पकडू दुपट्टा,मै सिर्फ आतंकवादी को पकड़ता हु। मेरे वॉच में तुम्हारा ये दुपट्टा फस गया है।

स्नेहल मुड़कर सुमेध का हाथ देखती है और सुमेध का हाथ पकड़ दुपट्टा छुड़ाने लगती है।
सुमेध स्नेहल के चेहरे में खो जाता है और उसे देखने लगता है।

स्नेहल छुड़ाने की कोशिश करती रहती है। सुमेध जैसे ही आलोक को देखता है आलोक दूसरी ओर देख रहा होता है। सुमेध तुरंत स्नेहल का हाथ अपने हाथ से दूर कर टेबल पर रखी कैची से दुपट्टा काट देता है।

सुमेध - लो हो गया अलग..!

सभी सुमेध को देखने लगते है।
सुमेध - क्या..?

स्नेहल - ये मेरा प्यारा दुपट्टा आप फाड़ दिए..?

सुमेध - ऐसे बहुत से दुपट्टे मिल जाएंगे।

स्नेहल - आपको क्या पता कितने दुकान के चक्कर धूप में काट पूरे 250 रुपए में ली थी इसे।

आलोक - अरे ये क्या किया..?

प्रविष्ठ - तू यहां ही था न..? किस दुनिया में खो जाता है भाई..?

स्नेहल मुद्रा का हाथ पकड़ - चल मुद्रा यहां से।
और चली जाती है
प्रविष्ठ - ये क्या किया मेरी साली के साथ..?

सुमेध - मिस चश्मिश साली कब से बन गई..?

प्रविष्ठ - अरे मुद्रा जी की दोस्त नही बहन है स्नेहल जी

सुमेध - हा हा रिश्तेदारी बाद में निभाना अभी इलाज करवा। खड़े होगा तभी फेरे लेगा

तीनो बाहर आते है और डॉक्टर प्रविष्ट को चेक करते है।
स्नेहल अपने क्वाटर में आती है और दुखी होकर अपने दुपट्टे को देखने लगती हैं।
स्नेहल - ये सुमेध जी इतने खडूस क्यू है..? लेकिन वो बुके भी वो रखे...... मै नाराज क्यू नही हो पाती उनसे..! 
इधर सब बॉयज अपना काम निपटा प्रविष्ठ से मिलने आते है । और बैठकर उससे बाते करने लगते है।
नवनीत - तो कुछ दिनो मे सही हो जाएगा,,फिर वही काम शुरू ।

प्रविष्ठ - सोच रहा हु कब तक ऐसे अकेले रहु ...?

आलोक - क्यू हम लोग न भाई तेरे साथ..?

नवनीत - अरे तू सुमेध के साथ रहने वाला सिंगल प्राणी ,,क्या समझेगा हमारा दर्द..? ये घर बसाने की बात कर रहा, मै तो इतना सिंगल हु कि सपने में खुद को ही सिंधुर पहना देता हु, मोबाइल में भी ड्यूल सिम में सिंगल कार्ड है। अरे कभी कभार मन करता है एक सुंदर सुशील आतंकवादी खोज के ठोक दू

सुमेध हाथ जोड़ - बस बस समझ गए आपको सुकून की तलास है।

नवनीत - तो अब आगे..?

प्रविष्ठ - ठीक होते ही मुद्रा के मम्मी पापा से बात करूंगा।

नवनीत - ए मै अपनी बात कर रहा था.. कब जा रहे हो तुम लोग ब्रिगेडियर सर से बात करने..? बताओ

तीनो नवनीत की बाते सुन सर पीट लेते है।
इधर शाम में स्नेहल घर के बाहर जैसे ही निकलती है एक बुके रखा होता है पर सफेद गुलाबो का। और लिखा होता है कीप स्माइलिंग 😊

स्नेहल उसे अंदर लेकर आती है और बैठ के उसे देखने लगती है।

स्नेहल - अब पता चल गया आप ही भेजे है ये क्युकी मै सैड हु। पर आप जो है वो दिखाते नही और जो दिखाते है वो है नही। कुछ तो बात है आपके सख्त होने का.....! 
लेकिन मैं इतना क्यों सोच रही हू उनके बारे में..?

रात में स्नेहल आर्मी कैंप में आती है । और आर्मी चीफ को खोजने लगती है।
तभी सुमेध उसे देखता है और उसके पास आता है।
सुमेध - तुम्हे पता नही रात के टाईम इधर नही आते..?

स्नेहल - जी मुझे आर्मी चीफ जी से मिलना है। जरूरी बात है।

सुमेध - चलो आप मेरे पीछे।

स्नेहल सुमेध के पिछे पिछे आर्मी चीफ के पास जाती है।
स्नेहल - हेलो सर ..... वो आपसे रिसर्च के बारे में बात करनी थी।

आर्मी चीफ - यस बोलो। अच्छी चल रही न रिसर्च..?

स्नेहल - जी अच्छी चली और पूरी भी हो गई। अब कल मै चली जाऊंगी वापस। तो आपको थैंक्स बोलने आई थी।

सुमेध मन में - क्यू....? ये क्यू जा रही??

आर्मी चीफ - हमे भी तुम्हारे जैसे काबिल रिसर्चर से मिल अच्छा लगा। कल जाते वक्त हम सब तुम्हे बाय बोलने आयेंगे।

स्नेहल - थैंक्स सर...अब मै चलती हू।

और स्नेहल जाने लगती है। तो उसे लगता है कोई उसके पीछे पीछे आ रहा है। स्नेहल मुड के देखती है तो सुमेध होता है।
स्नेहल - सुमेध जी आप..? कुछ काम था ..?

सुमेध - हा पहुंचाने गया तो छोड़ने नही जाऊंगा क्या..?

स्नेहल - लेकिन मुझे नही पता था सर किधर है,,लेकिन ये तो पता है न मेरा क्वाटर किधर है...

सुमेध गुस्से में - तो जाओ कौन मना किया..? जितनी जल्दी हो चली जाओ

स्नेहल - आप हर वक्त गुस्सा क्यू होते है ...? 

सुमेध गुस्से में - मै गुस्से में लग रहा हु..?

स्नेहल रुआसी होकर - नही..!

और जाने लगती है तभी सुमेध पीछे से - स्नेहल......!

स्नेहल मुड़ते हुए - जी..!

सुमेध - कीप स्माइलिंग

स्नेहल मुस्कुरा कर - कीप स्माइलिंग....मतलब वो बुके आप ही भेजे थे न..?

सुमेध दूसरी ओर देख कर - कौन सा बुके..?

स्नेहल सुमेध के पास आकर - झूठ मत बोलिए सुमेध जी... देखिए आपकी नाक लाल हो गई

सुमेध नाक छूकर - सच मे क्या..?

स्नेहल हंसते हुए - आप फस गए न ...! 

सुमेध मुस्कुराने लगता है । अचानक से गोलियों की आवाज सुन स्नेहल घबरा जाती है।
सुमेध - डोंट वरी ये नवनीत होगा.....ऐसे ही दुश्मनों को डराता है।

स्नेहल कुछ नही बोलती बस कांपने लगती है। सुमेध उसे पकड़ते हुए - स्नेहल...!

स्नेहल घबराते हुए - मत चलाओ गोली....मत चलाओ

सुमेध अपने दोनो हाथो से स्नेहल का कान बंद कर - अब नही आयेगी आवाज..!

स्नेहल सुमेध की आंखो में देखने लगती है। और उसके गले लग जाती है। सुमेध उसे पकड़ लेता है। थोड़ी देर दोनो ऐसे ही होते है कि सायरन बजने की आवाज आती है।
सुमेध अचानक से स्नेहल को खुद से अलग करता है।
सुमेध - मेरे ड्यूटी का टाइम हो गया। चलता हु।

स्नेहल मुस्कुराते हुए - गुड नाईट

सुमेध - मै वहा मुस्तैदी पर सोउंगा क्या..!

स्नेहल - तब वेक नाइट 😲

और चली जाती है सुमेध भी बाकियों के पास आता है। वो स्नेहल के बारे में सोचते हुए आ रहा था कि सामने उसे आलोक दिखता है बाकियों के साथ।

सुमेध मन में - ये क्या कर रहा हु मै..? आलोक स्नेहल से प्यार करता है मै अपने दोस्त के प्यार के बीच कैसे आ सकता हू।

आलोक हंसते हुए - सुमेध देख न भाई इसे... पडोसियो को रात भर सोने भी नही देगा।

सभी लोग हंसने लगते है।
अगली सुबह.......नवनीत नहाकर तैयार होकर थैले में सेब लिए सबके पास आता है।

नवनीत - चलो भाईयो प्रविष्ठ के पास।
और तीनो प्रविष्ठ के पास आते है। प्रविष्ठ जैसे ही नवनीत और उसके हाथ में सेब देखता है रोने लगता है।
आलोक - भाई रो क्यू रहा..? 

प्रविष्ठ आंसू पोछते हुए - दोस्त चाहे जितना नालायक हो मुसीबत के टाइम केयर जरूर करता है। चल दे सेब सच मे खाने का मन हो रहा था।

नवनीत - खबरदार एक भी सेब को हाथ लगाया तो...ये तो मैं सुकून के लिए लाया हु। चल चारो चलते है ब्रिगेडियर सर के घर।

प्रविष्ठ - अरे कैसे चलू...? हालत देख ब्लास्ट में उड़ गया था मै।

नवनीत - तो...! चलेंगे तो चारो साथ मे ही। तो तेरे पास दो ऑप्शन है या तो चल खुद से,,दूसरा कि हम चलाए तुझे

प्रविष्ठ - तो मै तीसरा ऑप्शन चुनता हु इसी खिड़की से कूद जाऊंगा।

नवनीत व्हील चेयर लाकर - बाद में मै खुद फेक दूंगा तुझे,,पहले एक बार मेरा रिश्ता तो पक्का कर दे।

सुमेध - नवनीत तू खुद को देख साइको लग रहा है।

नवनीत - तुम तीनो ये मत भूलो

तीनो - क्या...?

नवनीत - शार्प शूटर हु मै ऐसा ठोकूंगा कि पता भी नही चलेगा कि मर भी गए हो.... 

सुमेध और आलोक प्रविष्ट को उठा कर व्हील चेयर पर बैठा देते है।
और चारो ब्रिगेडियर सर के घर के बाहर आते है।
आलोक - डोर बेल तो बजाओ कोई

नवनीत - उसकी क्या जरूरत.... प्रविष्ठ जरा नॉर्मल आवाज में सर जी को बुला।

प्रविष्ठ - सर............!

अचानक से ब्रेगिडीयर दरवाजा खोल हाथ मे ढेर सारे गन लिए - क्या हुआ..? हमला हो गया...? आतंकवादी आए क्या..?

सुमेध - जब तक ये नवनीत है आतंकवादी की क्या जरूरत..!

नवनीत - सर जी कोई हमला नही हुआ है। हम लोग तो बस आपको आवाज लगा के बुलाए

ब्रिगेडियर सर - बेटा डीजे फूल वोल्यूम पर बजा देना,,,पर  प्रविष्ठ से किसी को बुलाने को मत कहना।

आलोक - ओके सर अब चलते है
और प्रविष्ठ का व्हील चेयर घुमाता है।
नवनीत आपको को पकड़ खींचता है। दोनो पीछे खींचे चले आते है।
आलोक - ओह भाई मै मून वॉक कर रहा

प्रविष्ट - तेरा छोड़ मै तो मून व्हील चेयर कर रहा

सुमेध - आगे देखो नवनीत खीच रहा है तुम लोगो को।

नवनीत - अरे ऐसे कैसे चले जाए..? अरे अभी दर्शन कर सेब चढ़ाने है न।

ब्रिगेडियर सर - लेकिन यहां कोई मंदिर नही है।

नवनीत बड़बड़ाते हुए - आपके घर में तो है...

ब्रिगेडियर सर - क्या बोले..?

नवनीत - सर ये अपना सुमेध मन्नत माना था कि प्रविष्ठ ठीक हो जाय तो आर्मी कैंप वाले महान ब्रिगेडियर सर को सेब का चढ़ावा चढ़ाएगा। ले भाई चढ़ा दे

सुमेध घूरते हुए - तू एक बार बेस कैंप में चल.....फिर अच्छे से पूजा करूंगा।

ब्रिगेडियर सर - कितना सोचते हो अपने दोस्त के बारे में....मुझे सुकून के लिए सुमेध जैसा लड़का ही चाहिए।

अचानक से सुमेध को अजीब फिल होने लगता है वो नवनीत की ओर देखता है तो नवनीत आंखो में ज्वाला लिए उसे देख रहा होता है।
आलोक - सर ऐसा नहीं कहते....सुमेध किसी और से प्यार करता है।

प्रविष्ठ - हा हा

ब्रिगेडियर सर - किससे..?

आलोक - वो स्नेहल है न जो कही न कही गिरी पड़ी मिलती है वही।

ब्रिगेडियर सर - तू तो कितना परफेक्ट है लेकिन प्यार ...?

नवनीत - क्या करे सर...विपरित लोगो से प्यार बहुत जल्दी होता है और कब कैसे होता है पता भी नही चलता।
और कहते कहते घर के अंदर आ जाता है और ब्रिगेडियर सर घर के बाहर।

ब्रिगेडियर सर - क्या घर के अंदर आऊ..?

नवनीत - अरे आइए न आपके लिए मसालेदार चाय बनाता हु। 

सभी अंदर आकर बैठते है और नवनीत चाय बनाने जाता है। कुछ देर में चाय लेकर आता है।
ब्रिगेडियर सर - तो सुमेध किसी से प्यार करता है तो प्रविष्ट तुम..?

प्रविष्ठ नवनीत को देख - सर मेरी कुंडली में स नाम की लडकियो से शादी का योग नही है। अगर शादी किया तो लड़की का बाप मर जाएगा।

ब्रिगेडियर सर - कोई बात नही। तू रहने दे। आलोक तुम..?

सुमेध - सर ये किसी से प्यार करता है।

आलोक धीरे से - तुझे कब पता चला..? चलो सब दोस्तो को पता हो गया अब मदद करना।

सुमेध मन में - हा मै तुझे तेरा लिए दिला कर रहूंगा।

नवनीत - सर तीनो के बारे में पुछे मेरा नही पूछेंगे..? लीजिए चाय पीजिए

ब्रिगेडियर सर जैसे ही चाय पीते है मुंह से सारा चाय बाहर आ जाता है।
ब्रिगेडियर सर - क्या मिलाया है..?

नवनीत - मसालेदार चाय है तो मसाला तो मिलाऊंगा न..?

ब्रिगेडियर सर - दुनिया में किसी से शादी कराने का सोचू अपने बेटी का तुझे तो कभी बोलूंगा।

नवनीत शॉक होकर बैठ जाता है उसे कोई होश ही नही रहता।

सुमेध - मर तो नही गया..? चेक करो

प्रविष्ठ व्हील चेयर से उठ लगड़ाते हुए - अब इसे व्हील चेयर की जरूरत है। चल भाई
और तीनो उसे व्हील चेयर पर बैठा जैसे ही ले जाने को होते हैं सुकून आती है, और नवनीत वापस खड़ा हो जाता है।
नवनीत प्रविष्ठ को गोद में उठा - मेरा दोस्त ऐसे खड़े रहे और मैं बैठु..? न ना
और उसे बैठा देता है ।
सुकून - हेलो

सुमेध , प्रविष्ठ , आलोक - हेलो गुड मॉर्निंग

नवनीत शरमाते हुए - हाय...!
सुकून उसकी ओर देखती भी नही। 
ब्रिगेडियर सर - अरे कहा जा रहे हो..? आओ यहीं सेब खा लो

प्रविष्ठ बडबडा कर - अरे ये तो नवी लाया है सुकून के लिए। एक बाईट भी मै खाया तो पहाड़ी से फेक देगा।

आलोक - सर मेरा पेट भरा है
सुमेध - सर मेरा मन भी भर गया है।
प्रविष्ठ ललचाई नजरों से सेब को छूकर - सर मै तो सेब खाता ही नही।

ब्रिगेडियर सर - तो मुंह से लार क्यू निकाल रहा। चल बेटा खा ले। सुकून चलो काटो

आलोक - सर बेचारा प्रविष्ठ पहले ही टूटा फूटा है , लेकिन ये सेब नही खाता तो आप इसे काट देंगे...?

प्रविष्ठ - सर पैर काट दीजिए हाथ नही ,,,नही तो बम कैसे डिफ्यूज करूंगा।

ब्रिगेडियर सर - काम के प्रति कितने ईमानदार हो। पर इतना भी भोला नही बनते। मै सेब काटने की बात कर रहा था।
सुकून सेब जैसे ही प्रविष्ठ की ओर बढ़ाती है प्रविष्ट नवनीत को देखता है।
प्रविष्ठ - सर मेरा ब्लास्टी मईया का उपवास है। जब तो दो चार ब्लास्ट नही हो जाता नही खाऊंगा। बहना पहले तुम खाओ।

सुकून - ठीक है अब बहन बोले है तो खा लेती हु।
नवनीत सुकून को सेब खाते देख खुश होकर - प्रविष्ठ बेटा खा ले सेब....!

प्रविष्ठ सेब लेकर - दीजिए सर खा लेता हु
और मुंह से पूरा सेब डाल सिर्फ बीज बाहर निकालता है।
सभी उसे देख - लगता है बड़ी भूख लगी थी।

सुमेध - सर आ चलते है।
प्रविष्ठ - बहना एक और सेब ले लू...?

सुकून - हा हा भाई ले लीजिए

प्रविष्ठ - एक का मतलब एक ही होता है क्या

कुछ देर में सभी बाहर आते है और प्रविष्ठ को व्हील चेयर पर लिए आर्मी कैंप पहुंचते है।
प्रविष्ठ एक थैले में सेब देख - किसी का फायदा हुआ न हुआ मेरा तो हो गया।

नवनीत - मेरा भी फायदा, तू अब सुकून का भाई मतलब कभी भी तू वहा जा सकता है तो तेरे पीछे कोई तो तेरा व्हील चेयर पकड़ने को चाहिए तो जीवन भर मै तेरा राम लाल बनूंगा।

प्रविष्ठ - तो जीवन भर मै व्हील चेयर पर रहूंगा क्या..?

सुमेध - मतलब जीवन भर तू सुकून को मनाते ही रह जाएगा..?
सभी हंसने लगते है। तभी आर्मी चीफ आते है।
आर्मी चीफ - अरे जवानों चलो तुम लोग भी हमारे साथ..!

नवनीत - जंग छिड़ गई क्या सर..?

प्रविष्ठ हाथों से व्हील चेयर चलाते हुए - चलो जवानों... छक्के छुड़ा दूंगा दुश्मनों  के

आलोक - तू व्हील चेयर पर जंग लड़ेगा

प्रविष्ठ - हा दो चार के ऊपर व्हील चेयर लिए ही कूद जाऊंगा

आर्मी चीफ - शांत शांत.....हम जंग पर नही विदाई पर जा रहे

नवनीत - सर आपकी विदाई हो रही..? बड़ी खुशी हुई...मतलब बड़ा गम हुआ

आर्मी चीफ - अभी कई सालो तक मुझे ही झेलना है तुम लोगो को। अरे स्नेहल आज जा रही। तो बाय बोलने चलो

सुमेध उदास हो जाता है।
आलोक - क्या..? लेकिन बताई भी नही
और दौड़ते हुए स्नेहल के क्वोटर की ओर जाता है।
सुमेध - बेचारे को दुख हो रहा होगा। पर स्नेहल को बताना चाहिए था न आलोक को

सभी स्नेहल के पास आते है स्नेहल अपना समान कार में रख रही होती है। अचानक से सबके बीच सुमेध को देखती है और रुक जाती है।

आलोक - स्नेहल तुम जा रही..? बताया भी नही। कुछ दिन रुक जाओ

प्रविष्ठ - अरे अभी तुम्हारी सहेली के घर मेरा रिश्ता लेकर चलना है।

नवनीत - हा और मेरी सुकून

तभी ब्रिगेडियर सर - क्या सुकून..?

नवनीत - मतलब मेरा मानसिक सुकून नहीं मिल अभी तक। एक ही तो प्यारी दोस्त है मेरी वो भी जा रही।

तीनो - तो हम क्या है..?

नवनीत - मैने प्यारी बोला ....तुम लोग प्यारी हो..? बताया नही

सुमेध - तू रात को मिल

स्नेहल सबसे हाथ मिलाती है और ग्रुप फोटो क्लिक कराती है। फोटो में स्नेहल और सुमेध अगल बगल ही होते है।
स्नेहल जाते हुए - बाय...ये कुछ दिन बहुत याद आएंगे मुझे। बहुत अच्छा लगा आप लोगो से मिल। सच मे आप लोग ग्रेट है।

सुमेध एक पैकेट लाकर स्नेहल को थमाया। 
सुमेध - ट्रेन में खोलना इसे...! और समझना बात को।

स्नेहल कार में बैठती है और सबको बाय करते हुए चली जाती है। सभी वहा से चले जाते है पर सुमेध अभी भी वहीं खड़ा रहता है।

और सामने स्नेहल का क्वाटर देखता है। और अंदर जाता है और एक एक जगह को महसूस करने लगता है। और अंदर कमरे में आता है जहा सुमेध से स्नेहल के माथे पर किस हो गया होता है। 
सुमेध - जान बूझ कर तुम्हे डाटता और दूर रहता था क्युकी मै किसी भी रिश्ते को अब नही निभाना चाहता। पर तुम्हे डाटते डांटते कब प्यार हो गया पता भी नही चला.......पर मेरे लिए दोस्ती ज्यादा जरूरी है। क्युकी आलोक ही था जो मुझे मुश्किल वक्त में संभाला। 
और अपने जेब से स्नेहल के दुपट्टे का फटा टुकड़ा निकाल देखने लगता है।

"तो उसे बताया क्यू नही..? कि तू उससे प्यार करता है"

सुमेध देखता है तो आलोक दरवाजे के पास खड़ा रहता है।
सुमेध - आलोक तू..?

आलोक - सुमेध तू पागल है..? वो कुछ देर में कोसो दुर चली जायेगी जा जल्दी उसे बता।

सुमेध - पर तेरा क्या होगा..?

आलोक - मेरा ..? कुछ समझा नही।

सुमेध - तू भी तो स्नेहल से प्यार करता है।

आलोक - मैं कब बोला कि स्नेहल से प्यार करता हु..? 

सुमेध - हॉस्पिटल में तुम लोग आई लव यू बोले न मै सुन लिया....अब मेरे लिए त्याग मत कर। और आज भी तो बोला कि चलो सबको पता चल गया अब मदद करना।

आलोक सुमेध को मार - आंखे खोल...मै किसी से प्यार करना क्या किसी लड़की की ओर देख भी नहीं सकता......क्युकी मै किसी और से प्यार करता हु

सुमेध - कौन है वो...?

आलोक - पता नही....न नाम पता न एड्रेस। ये भी नही पता कि अब कहा है शादी हो गई या नही। बस एक नजर देख था और आज तक भूल नहीं पाया......मेरा छोड़ तू भाग स्टेशन की ओर।

सुमेध आलोक को गले लगा लेता है और भागते हुए बाहर आता है।  आलोक उसके पीछे आता है 
सुमेध - बाइक की चाबी से नवी
नवनीत - क्या हुआ इतनी जल्दी किधर जाने को मची है..?

सुमेध - जल्दी से स्टेशन जाना है स्नेहल को सब कुछ बताने।

प्रविष्ठ - क्या..? भाई उसे मत बताना कि मै उसके घर में रखे केले चुरा के खा गया था।

आलोक - अरे ये बात नही। सुमेध स्नेहल से प्यार करता  है और अभी जस्ट इसे क्लियर हो गया तो जा रहा बताने।

प्रविष्ट और नवनीत - जल्दी भाग..!

तभी आर्मी चीफ आकर - हा सुमेध जल्दी भागो.....तुम्हे पहुंचना है वहा

सुमेध खुश होकर - हा सर बस जा ही रहा हु।

आर्मी चीफ - ठीक है और जानकारियां निकाल जल्दी भेजना। नही तो वो लोग सब राज जान जाएंगे हमारे।

चारो एक साथ - मतलब सर.?

आर्मी चीफ - न्यूज आया है कोई हमारा डाटा चुरा रहा। सुमेध ही ये मामला संभाल सकता है। वरना हमारे देश की बड़ी बड़ी जानकारिया जा सकती है।

तीनो सुमेध को देखने लगते है।
सुमेध - ओके सर...! मै सब सही कर दूंगा।

आलोक - तो स्टेशन..?

सुमेध - मेरे लिए प्यार से बड़ा मेरा देश है। प्यार नही मिला तो शायद मर जाऊं पर देश को कुछ हुआ तो जीते जी मर जाऊंगा।

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6 Comments

Sachin dev

15-Apr-2022 03:07 PM

Very nice 👌

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Sandhya Prakash

26-Jan-2022 11:05 PM

Kafi intresting kahani likhi h aapne

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🤫

14-Jan-2022 03:17 PM

अरे वाह कहानी तो जासूसी मोड़ पर आ गई। बहुत बढ़िया लिखती है आप

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Thankyou 😊

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