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माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 7)

भाग - 

सभी आर्मी कैंप में आते है।
चारो रूम में आते है। नवनीत बेसुध होकर बेड पर लेट जाता है।
सुमेध - मरेला क्यू बना है?

नवनीत - क्या से क्या हो गया जालिम......

आलोक - जालिम नही जालिमा होगा गाने में

नवनीत - जालिम तुम जालिमो की वजह से मेरी सुकून दूर हो गई मुझसे..... 

सुमेध - सुकून तेरी कब से हो गई?

नवनीत - सुकून चैन वाली सुकून की बात कर रहा,,, एक तो सुकून भी गुस्सा ऊपर से सर से बोल दी तो सर जो उल्टा लटका के मारेंगे वो अलग 

सुमेध - हा तो भूल जा 

नवनीत - क्या भूल जा..? जब तुझे प्यार होगा न मै भी ऐसे ही बोलूंगा भूल जा तब देखता हु क्या जवाब देगा..?

सुमेध - हा भूल जाऊंगा मैं। 

प्रविष्ठ - अरे ऐसे कैसे प्यार तो दुनिया का सबसे प्यारी चीज है। प्यार तो बस चाहत रखता है। हमे दो प्रेमियों को हमेशा मिलाना चाहिए।

"हा हा ,सब समझ रहा हु क्यू ये प्रवचन दे रहा प्यार पर , " मुस्कुराते हुए आलोक बोला।

नवनीत - एक प्रविष्ठ ही है मेरा यार..... हम दोनो तोप भाई है

आलोक - हे..? सगा भाई सौतेला भाई सुना है ये तोप भाई.... ?

नवनीत - मै तोप चलाता हु और प्रविष्ठ का मुंह खुद में तोप है।

सुमेध बाहर आता है और टहलने लगता है।
सुमेध खुद से - पागल हो गए है दोनो। एक मुद्रा के पीछे एक सुकून के पीछे।कभी तो किसी को सुकून से रहने नही देता सुकून लेने चला है

तभी आर्मी चीफ सुमेध के पास आते है । सुमेध उन्हे सैल्यूट करता है
आर्मी चीफ - माय बॉय... कैसी रही नवनीत की मीटिंग? 

सुमेध बडबडाते हुए - अब क्या बताऊं ..?

आर्मी चीफ - ह...क्या?

सुमेध - कुछ नही सर। अरे रिश्ता कुछ खास नहीं जमा। आप बताइए सर कुछ काम है..?

आर्मी चीफ - हा इस टाइम जरा निगरानी बढ़ानी होगी । बॉर्डर कर भी मुस्तैदी बढ़ा दी गई है  पर सबसे ज्यादा फिक्र यहां आर्मी कैंप की है क्युकी यहां आर्मी मैन तो है साथ में उनकी फैमिली भी।

सुमेध - सर चिंता मत करिए हम पूरी निगरानी रखेंगे।
आर्मी चीफ - हा इसीलिए ब्रेगेडीयर सर आए है...आज शाम मे उनके घर जाना उन्हे जरूरी बात बतानी है।
सुमेध - ओके सर...! 

आर्मी - तुम अकेले नहीं चारो जाना

और आर्मी चीफ चले जाते है।
सुमेध - ये बात नवनीत को पता चली तो मर न जाय खुशी से

और अपने कमरे की ओर आता है। वहा देखता है तीनो स्नेहल के साथ बैठे बाते कर रहे होते है।

आलोक सुमेध को देख - अरे सुमेध आओ .... तुम्हारा ही वेट कर रहे थे।

सुमेध - मुझे कुछ जरूरी बात कहनी थी।

प्रविष्ठ - हा बोलो

सुमेध स्नेहल की ओर देखता है। 
स्नेहल - कोई बात नहीं..मै...मै जाती हु
और चली जाती है

आलोक - क्या किया यार..? बेचारी को बुरा लगा

सुमेध - तो जरूरी बात थी ऐसे ही किसी के सामने बोल दू..?

आलोक - वो पराई कहा है..? 

सुमेध - ऐसा कर तू अपनी स्नेहल जी को मना ले हम मिशन करके आ जायेंगे तब तक....

नवनीत - क्या यार तुम लोग भी....बता सुमेध क्या बात है..?

सुमेध - ब्रेगेडीयर सर बुलाए है उनके घर पर ताकि..

नवनीत उछल कर - यस मुझे पता था मेरा भाई दुखी नही देख पाएगा मुझे,,आखिर रिश्ता तय कर आ गया न।

सुमेध - बस बस अपने दिमाग के घोड़े को लगाम दे... आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई है उसी के सिलसिले में बुलाए है ओके

प्रविष्ठ और आलोक हंसने लगते है
नवनीत - हंस लो....एक दिन तुम भी रोओगे । फिर मै भी ऐसे ही हसूंगा....!

शाम में.....सभी ब्रेगेडीयर सर के घर जाते है। वो लोग डोर बेल बजाते है। 

"अभी आई", अंदर से आवाज आई।
और गेट खुलता है तो सुकून रहती है। नवनीत सुकून को देख मुस्कुराने लगता है।

सुकून - तुम..? मेरा पीछा कर रहे हो..?

नवनीत - नही आप गलत समझ रही

सुकून - गलत को गलत ही समझूंगी न..!

सुमेध - हम सर से मिलने आए है। 

तभी ब्रेगेडीयर सर आते हुए - आ गए जवानों आओ।
चारो अंदर हॉल में आते है। सुकून सबके लिए पानी लाती है।

फिर ब्रिगेडीयर सर चारो के साथ मीटिंग करते है। और कुछ संवेदनशील जगहों के बारे में डिसकस करते है । 

नवनीत - सर डोंट वरी वी आर हीयर......हमारे होते हुए किसी को कुछ नहीं होगा।

प्रविष्ठ - यस सर अगर ब्लास्ट की खबर आई तो सबसे पहले प्रविष्ठ ही जाएगा वहा।

ब्रेगेडियर सर - ओके देन.....

तीनो खड़े होते पर नवनीत बैठा रहता है। तीनो पहले ब्रेगेडीयर सर को देखते है फिर नवनीत को।
आलोक - नवनीत चल....!

नवनीत खड़े होते हुए - हा हा चलता हु ससुर जी
सभी आंखे फाड़ नवनीत को देखते है। 

ब्रेगेडीयर सर घूरते हुए - हमारा कान खराब हुआ या तुम यही बोले..?

नवनीत - सर...चलता हु सर जी ये बोला

ब्रेगेडीयर सर - तुम तो पहले से ही खिसके हुए लगते हो हमे...!

सुमेध , आलोक, प्रविष्ठ मुंह दबाकर हंसने लगे।
तभी सुकून आती है।
सुकून - अरे आप लोग जा रहे..? मीटिंग हो गई..?

नवनीत - हांजी..!

सुकून - तो पापा एक बात कहनी थी.... आज सुबह ही पता चला ये लोग क्या सोचते है आपके बारे में..?
चारो घबरा कर सुकून को देखते है। और सुकून तिरछी स्माइल देते हुए उन चारो को देखती है।
क्रमशः........

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6 Comments

Sachin dev

15-Apr-2022 03:05 PM

Nice part 👌

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Arman

29-Jan-2022 06:04 PM

Very very nicely written

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Inayat

13-Jan-2022 08:05 PM

Very very nicely written

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