Simran Ansari

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Exposed part : 3




पार्टी हॉल में मेहमानों की संख्या आप बहुत कम ही रह गई है, रात के 2:00 से 3:00 के बीच का वक्त है; ज्यादातर मेहमान वापस जा चुके हैं!

 रोहित, अवनी, कबीर, रागिनी और विशाल अभी भी पांचो एक साथ ही बैठे ड्रिंक्स कर रहे हैं, डीजे पर अब बिल्कुल लाइट म्यूजिक प्ले हो रहा है, एक साथ बैठकर बातें करते करते, उन पांचों को जैसे वक्त का पता ही नहीं चला...

धीरे-धीरे करके अब बाकी बचे लोग भी वहां से चले जाते हैं , उस बड़े से पार्टी हॉल में अब सिर्फ स्टाफ के लोग और वह पांचों (रोहित , अवनी, रागिनी, कबीर और विशाल) ही रह जाते हैं।

इसी बीच कबीर की नजर अपनी घड़ी पर पड़ती है, तो समय देखकर वह चौंक कर उठ खड़ा होता है और बोलता है - "अरे यार! 3:00 बज गए।" कबीर ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था नशे की वजह से; 

रागिनी ने उसे थामते हुए कहा - "हां यार! टाइम तो बहुत ज्यादा हो गया है; लेकिन हम दोनों ही ड्रंक हैं ऐसे में ड्राइव कौन करेगा?"

इस पर विशाल ने कहा - "डोंट वरी, कबीर हमारा यहां स्पेशल रूम हमेशा बुक रहता है, तो आज रात हम सब यहीं रुक जाते हैं क्योंकि ड्राइव करने के हालत में तो मैं भी नहीं हूं और ना ही रोहित भैया"

विशाल का यह सुझाव सबको पसंद आया और सब एक साथ उस रूम की तरफ चले गए वह पांचों लोग के नशे में थे; इसलिए कमरे में पहुंचते ही जिस को जहां पर जगह मिली, वह वहीं पर गिर पड़ा और सब लेटते ही सो गए।

सुबह 6:00 बजे रोहित को टॉयलेट लगी, तो उसकी आंख खुल गई और उसने कमरे में देखा तो उसे वहां पर अवनी कहीं भी नजर नहीं आई तो उसे अवनी की फिकर हुई; और उसे बाहर से कुछ आदमियों की फुसफुसाने की आवाजें से भी आ रही थी।

इसलिए उसने विशाल को जगाया और उससे पूछा की "अवनी कहां है?" विशाल अभी भी नींद में था, तो पहले उसे कुछ भी समझ नहीं आया, फिर जब रोहित ने उसे पानी की छींटे मार कर उठाया तो वह उठा और उसने कहा कि उसे नहीं पता कि अवनी कहां गई है? 

"रात को तो अवनी भाभी भी हम चारों के साथ ही इसी कमरे में आकर सोई थी, तो अभी इस वक्त वह कहां जा सकती है?" - विशाल ने भी थोड़ी चिंता जताते हुए कहा....

इतने में रोहित वॉशरूम से निकल कर आया और विशाल के साथ मिलकर कमरे के बाहर जाकर अवनी को ढूंढने लगा तो कमरे के बाहर निकलते ही उसने देखा कि अवनी सामने वाले कमरे के दरवाजे से झांक कर कुछ देखने व सुनने की कोशिश कर रही है; उसे देखते ही विशाल रोहित से बोला - "वह रही भाभी; मगर यह वहां क्या कर रही है?"

रोहित बोला - "पता नहीं, यह तो वहां चलकर उन्हीं से पूछना पड़ेगा और रोहित ने पीछे से अवनी के कंधे पर हाथ रख दिया तो अवनी बुरी तरह चौंक गई और फिर पीछे मुड़कर रोहित और विशाल को देखकर थोड़ी शांत हुई - ओह गॉड! तुम दोनों हो, अवनी ने बिल्कुल धीरे से कहा

"लेकिन अवनी"- जैसे ही रोहित ने कुछ बोलना चाहा अवनी ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए कहा और जो दरवाजा थोड़ा सा खुला था, उस से अंदर देखने को कहा रोहित और विशाल ने अवनी के कहने पर जैसे ही उस कमरे के अंदर झांका तो उन दोनों की आंखें खुली की खुली रह गई; कमरे के अंदर देखने के बाद रोहित ने तुरंत ही अवनी का हाथ पकड़ा और उसे वहां से अपने रूम की तरफ ले जाने लगा , तभी वापस जाते वक्त विशाल का हाथ दरवाजे से टकरा गया और कमरे के अंदर बैठे हुए लोगों का ध्यान दरवाजे की तरफ गया लेकिन अवनी ने दरवाजा बाहर से पूरा बंद कर दिया और वह तीनों जल्दी से वहां से वापस अपने कमरे में आ गए।

तभी उस कमरे से एक आदमी चिल्लाते हुए बाहर आया और मैनेजर को आवाज देने लगा; मैनेजर दौड़ता भागता हुआ वहां पर आया और उस आदमी से पूछा - "एनी प्रॉब्लम सर?"

वह आदमी गुस्से से चिल्लाते हुए बोला - "तुमने तो कहा था कि इस वक्त यहां पर कोई भी नहीं है तो जल्दी से पता करो कि हमारे अलावा और कौन है यहां पर?" और किसी ने हमारी बातें तो नहीं सुनी...."

यह सुनकर मैनेजर हड़बड़ाते हुए बोला - "यू डोंट वरी सर! मैं देखता हूं!" उन दोनों की यह बातें सुनकर रोहित विशाल और अवनी जल्दी से भागकर अपने रूम में आए और उन तीनों ने कबीर और रागिनी को भी जगाया और अपना सारा सामान ढूंढने लगे।

तभी कबीर रोहित से पूछने लगा कि - "क्या हुआ यार? इतनी भी जल्दी क्या है? अभी सुबह के 6:30 ही तो बजे हैं ; ऐसी भी क्या आफत आ गई , कुछ तो बता...."

रोहित हड़बड़ाहट में अपनी कार की चाबियां ढूंढ रहा था, जोकि उसे मिल नहीं रही थी और उसे याद भी नहीं आ रहा था कि कल रात नशे में उसने कहां रख दिया।।

उसने कबीर की तरफ देखते हुए कहा - "तेरी कार कीज़ तो है ना, तेरे पास कबीर ?"

"अरे हां, मेरे कोट की जेब में ही है ; लेकिन हुआ क्या?" कबीर ने फिर से पूछा

"वह सब मैं तुझे रास्ते में बताऊंगा, पहले हमें जल्दी से जल्दी यहां से निकलना होगा" - रोहित ने कहा

अवनी और विशाल भी अपना सारा सामान समेट रहे थे, और साथ ही रागिनी और कबीर की भी मदद कर रहे थे; वह लोग अपना कोई भी सामान वहां पर छूटने नहीं देना चाहते थे ।

तभी अचानक पूरे रूम के अंदर धुआं भरने लगा और उन सभी को खांसी आने लगी; धुआं देखते ही रोहित, अवनी और विशाल समझ गए कि उन लोगों को उन पांचों के भी उसी जगह पर होने का पता चल गया है।

 रोहित तुरंत ही दरवाजे की तरफ भागा, लेकिन दरवाजा बाहर से लॉक्ड था, उन तीनों आदमियों ने भरपूर कोशिश की ; लेकिन दरवाजा नहीं खुला और धुआं पूरे कमरे में भर गया और खांसते खांसते रागिनी और अवनी का बुरा हाल हो गया था और वह दोनों बेहोश हो गई।

 फिर विशाल भी बेहोश हो गया और आखिर में रोहित और कबीर भी दरवाजा खोलने की कोशिश करते करते वहीं पर बेहोश होकर गिर पड़े.....

उसके बाद कई घंटे तक वह सभी बेहोश ही रहे सबसे पहले रोहित होश में आया , तो उसने खुद को एक अंधेरी जगह में बंद पाया; वह नहीं जानता था कि वह कहां पर है? और उस जगह पर इतना ज्यादा अंधेरा था कि उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

 होश में आते ही उसने सबसे पहले अवनी का नाम जोर से पुकारा जिससे कि वहीं कहीं पर बेहोश पड़ी अवनी को भी होश आ गया और वह रोहित की आवाज की तरफ से भागी क्योंकि अंधेरे की वजह से उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

तभी रोहित को अपने पॉकेट में अपना मोबाइल फोन फील होता है और वह अपने मोबाइल की फ्लैश लाइट जला लेता है और उसी की रोशनी में अवनी के पास आ जाता है और फिर वह दोनों उसी कमरे में बेहोश पड़े अपने बाकी तीनों साथियों को भी एक-एक करके होश में लाते हैं।

कबीर और रागिनी के होश में आने के बाद विशाल अवनी और रोहित ने जो भी उस होटल रूम में देखा होता है कबीर और रागिनी को भी बता देते हैं.....

"ओ माय गॉड! तो यह बात है," - कबीर पूरी बात सुनकर चौंक कर कहता है, तो इस वजह से हम सब यहां फंसे हैं।

"हां यार ; रोहित उसकी हां में हां मिलाता हुआ कहता है "लेकिन हमें पता भी नहीं हम सब हैं कहां??" 

"लेकिन हम लोग यहां से बाहर कैसे निकलेंगे?" रागिनी परेशान होकर कबीर का हाथ पकड़ते हुए बोलती है

रागिनी को ऐसे घबराते हुए देखकर कबीर उसका हाथ कसकर पकड़ते हुए कहता है - "मैं हूं ना तुम्हारे साथ, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा।"

उसके बाद विशाल कहता है - "और सब लोग चेक करो किसी और के पास भी मोबाइल है क्या?"

उसकी इस बात पर रोहित कहता है कि - "कोई फायदा नहीं, मेरे मोबाइल फोन में नेटवर्क ही नहीं आ रहा है और अब तो बैटरी भी लो होने वाली है।"

बाकी किसी के पास भी फोन नहीं रहता है, क्योंकि रूम से जल्दी निकलने की हड़बड़ी में सिर्फ रोहित ही अपना सेल फोन उठाकर अपनी पॉकेट में रखा था; बाकी किसी को भी रात की ड्रिंक्स के नशे और सुबह की नींद के आगे अपना मोबाइल फोन या कोई भी सामान याद नहीं रहता है।

विशाल पूरे कमरे में चलकर फ्लैश लाइट की रोशनी में वहां से निकलने का कोई दरवाजा या खिड़की ढूंढने की कोशिश करता है, तभी मेज जैसी कोई चीज से टकराकर विशाल के पैर में चोट लग जाती है तो उसकी चीख निकल जाती है....

"ओह शिट!" - विशाल जोर से चिल्लाता है.....

उसकी आवाज सुनकर बाकी के चारों लोग भी दौड़ कर उसकी तरफ ही आ जाते हैं और रोहित पूछता है - "क्या हुआ विशाल?"

"पता नहीं भैया, किसी चीज़ से पैर टकरा गया और यहां पर तो कोई बाहर निकलने का रास्ता भी नहीं समझ में आ रहा ना ही कहीं से बाहर की कोई रोशनी आ रही है पता नहीं कौन सी जगह है यहां बस एक बार बाहर निकल जाएं यहां से फिर तो उसे छोड़ेंगे नहीं जिसने भी हमें यहां बंद किया है।"- विशाल गुस्से से कहता है

"हां, लेकिन उसके लिए पहले हमें यहां से बाहर निकलना होगा " - कबीर उन चारों से कहता है

तो बाकी चारों भी उसकी हां में हां मिलाते हैं - "चलो सब मिलकर ढूंढते हैं, कोई ना कोई रास्ता तो ज़रूर मिलेगा।"





क्रमशः


सिमरन


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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 08:56 PM

बहुत सुंदर भाग👌👌👌👌

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Hayati ansari

29-Nov-2021 08:50 AM

Very nice

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आयुषी सिंह

06-Jul-2021 06:51 PM

बहुत बढ़िया कहानी है

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