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माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 4)

भाग - 4


अभी तक आप लोगो ने देखा कि स्नेहल आर्मी चीफ के साथ चारो के पास आती है । और चारो सजा के लिए तैयार होने लगते है।
आर्मी चीफ - तो जवानों तुम लोग मिल लिए हो इससे?
चारो एक साथ - यस सर ...... हम सजा के लिए तैयार है
आर्मी चीफ - सजा? लेकिन क्यू? बल्कि मै स्नेहल को लाया हु ताकि तुम जैसे बहादुर जवान के बारे में ये लिखे।
चारो हैरानी से एक दूसरे को देखने लगते है। 
आर्मी चीफ - मेजर राजवीर सिंह के कहने पर मै इसे परमिशन दे दिया। ये यही बिना खतरे वाले जगह पर रह सबके डेली लाइफ पर रिसर्च कर लेगी। तुम चारो को जिम्मेदारी दे रहा हु इसकी
चारो सैल्यूट करते हुए - यस सर
और चले जाते है।
चारो बैठ कर एक दूसरे का मुंह देखते है फिर हंसने लगते है।
आलोक - हमे लगा वो शिकायत की,,,चलो अच्छा है नही की,,,,
नवनीत - मै तो पूरी तैयारी कर लिया था सजा के लिए
सुमेध - लेकिन अब वो अधिकतर हम लोगो के साथ रहेगी । पता मत लगने देना मेरा राज
प्रविष्ठ - हा हा किसी को पता नही लगने देंगे तेरा राज की तू 
तीनो प्रविष्ठ का मुंह चाप - तू तो सबसे पहले बता देगा
रात में सभी अपने रूम मे आते है। और कपड़े चेंज कर सोने चले जाते है।
सुमेध खिड़की के पास से बाहर का नजारा देख रहा होता है कि उसे स्नेहल सामने के गेस्ट क्वॉटर के बालकनी के  बाहर दिखती है। जो कानो में इयर फोन लगाए गाने सुन रही थी,और थिरक रही थी
सुमेध - मिस चश्मिश..... 
और सोने चला जाता है।
अगले दिन.....
सुबह के चार बजे कोई कमरे का दरवाजा नॉक करता है।
आलोक - इतनी सुबह कौन होगा?
नवनीत - हमला तो नही हो गया 
और तुरंत सभी वेपंस लेकर तैयार हो जाता है और झटके में दरवाजा खोल देता है। सामने स्नेहल होती है को खुद पर इतने वेपंस ताने देख चिल्लाने लगती है।
सुमेध ऊठकर - क्या हुआ? तुम लोग ऐसे ,,,और ये मिस चश्मिश चिल्ला क्यों रही?
स्नेहल सुमेध को देख और तेज से चिल्लाने लगती है।
सुमेध - अब चिल्लाती रहोगी या बोलोगी भी?
आलोक - भाई भले ही वेपन्स से न डरें तुझे ऐसे देख तो चिल्लाएगी ही,,,शर्ट पहन पहले
सुमेध खुद को देखता है और तुरंत शर्ट पहनने भागता है।
प्रविष्ठ - आप इतनी सुबह यहां??
स्नेहल - डेली लाइफ पर लिखना है न? तो आप लोगो का डेली लाइफ कैप्चर करने आई हु,,,,, आप लोग कब जागते हैं? 
आलोक - अब जग ही गए है । बस फ्रेश होकर एक्सरसाइज 
स्नेहल - ओके ग्राउंड में मै वेट करती हु आप लोगो का
और ग्राउंड की और भागती है पर बीच में ही गीर जाती है 
सुमेध - इस लड़की का कुछ नही हो सकता। जब देखो गिरती पड़ती रहती है
आलोक - ऐसा मत बोल,,बेचारी क्यूट सी है
नवनीत - क्यूट मतलब??
आलोक बाथरूम जाते हुए - गलत मत सोच
सुमेध - आलोक किसी भी लड़की को पसंद कर लेना इसे नही,,,,जिंदगी झंड कर देगी। जिंदगी भर इसे संभालता ही रह जाएगा।
कुछ देर में सभी लोग ग्राउंड में आते है और एक्सरसाइज करने लगते है। स्नेहल सबके पिक्स लेने लगती है। और कुछ चीजे नोट करने लगती है।
फिर सभी लोग बंदूक चलाने की प्रैक्टिस करवाने लगते है
और न्यू आर्मी मेंस को स्पेशल तकनीक भी सिखा रहे रहे
नवनीत एक बार बंदूक चलाना शुरू करता है तो रुकता ही नही।
स्नेहल उसे देख डर जाती है। और कान पर हाथ रख लेती है।
सुमेध - क्यू डर गई? इससे रोज खेलते है ये लोग
स्नेहल बंदूक की आवाज से कांपते हुए वही गिर जाती है।
सुमेध तुरंत उसे उठाकर डॉक्टर के पास लाता है। सभी उसके पास आते है।
प्रविष्ट - ये बेहोश क्यू हो गई?
सुमेध - गोलियों की आवाज से डर लग रहा था इसे
आलोक - बस गोलियों की आवाज से इतनी बुरी तरह से कोई नही डर सकता....कुछ तो बात है।
डॉक्टर स्नेहल को चेक करते है। 
डॉक्टर - नथिंग सिरियस ,,,, बस बेहोशी आ गई । शायद तेज आवाज से फोबिया है इन्हे
स्नेहल लेटी रहती है तभी कुछ देर में उसे होश आता है।
आलोक - तुम ठीक हो न??
स्नेहल - हा मै ठीक हु ,,,,,,वो बस गोलियों की आवाज
नवनीत - सिर्फ गोलियों की आवाज से इतना डर गई?तो प्रविष्ठ के आवाज से तो मर ही जाओगी
और हंसने लगता है,सभी उसे घूरते है
सुमेध - जब इतना ही डर है तो क्या जरूरत थी यहा आकर रिसर्च करने की
स्नेहल खोए हुए - कभी कभी कुछ चीजों से इतनी गहरी याद होती है कि हम चाहते हुए भी नही भूल सकते।
आलोक - कैसी याद??
स्नेहल - कुछ नही....अब मै चलती हू शाम मे आऊंगी फिर से
आलोक - मै छोड़ दू?
स्नेहल - नही पहले बैंक जाना है ......फिर वहा से क्वाटर
प्रविष्ठ - क्या बैंक जाना है,,,,,,मै भी चलता हु
सुमेध - मंदिर है वो कि बात बात पर पहुंच जाएगा? ये आज कल बात बात पर बैंक क्यू जाता है तू? 
प्रविष्ठ - अरे वो मुझे पैसे निकालने है
नवनीत - ऐसा कौन सा कुबेर का खजाना है भाई तेरे पास जो रोज निकालने जाता है?
प्रविष्ठ - स्नेहल जी आप चलिए मेरे साथ .....ये लोगो की बकैती चलती रहेगी
स्नेहल और प्रविष्ठ बैंक आते है। वहां मुद्रा काउंटर पर होती है,,,, प्रविष्ठ मुद्रा की ओर देखता है ,,, मुद्रा उसको देख बहुत खुश हो जाती है।
प्रविष्ठ - इतना तो मेरे घरवाले मुझे देख खुश नहीं होते जितना ये देख खुश हो रही
मुद्रा प्रविष्ठ की ओर दौड़ते हुए गले लगने आती है।
प्रविष्ट मन में - ये मुझे गले लगाने काहे आ रही गुरु? लगा ले का? नही नही मै आर्मी मैन हु मेरी कुछ मर्यादा है ....... लेकिन आर्मी मैन को प्यार नही हो सकता क्या? क्या करू बाबा विश्वनाथ
तभी मुद्रा प्रविष्ठ के बगल में खड़ी स्नेहल को गले लगा लेती है। प्रविष्ठ उन्हे देख हैरान हो जाता है।
मुद्रा - यार स्नेहू तू यहा?? कैसे ? कब? हम तो दिल्ली में पढ़ते थे तब का मिले
स्नेहल - आराम से आराम से.... यहां मिलिट्री पर रिसर्च करने आई हु । और तू तो यही की रहने वाली है तो आंटी से पूछ ली तेरा बैंक .....और आ गई।
प्रविष्ठ - अच्छा तो आप दोनो दोस्त है।
मुद्रा - जी.... स्नेहल तू जानती है इन्हे? 
स्नेहल - हा आर्मी चीफ इनके ग्रुप को ही मेरी जिम्मेदारी दिए है । 
मुद्रा - ये न होते तो आज मैं भी न होती .....
और सारी बात बताती है
स्नेहल - थैंक्स ए लॉट प्रविष्ठ जी 
प्रविष्ठ - अब उसमे थैंक्स की क्या बात काम था मेरा
मुद्रा - तो आज आपको फिर पैसे निकालने है? 
स्नेहल - आप रोज पैसे निकालने आते है ?
मुद्रा - हा सुबह पैसे निकालने आते है रात में जमा करने।
स्नेहल तिरछी स्माइल देते हुए प्रविष्ट को घूरती है।
प्रविष्ठ - अरे मै यहां क्या कर रहा,,,चलता हु । मेरा काम होगा वहा
और बैंक के बाहर भागता है। और आर्मी कॉलोनी से कैंप में आ जाता है।
तभी तीनो उसे देखते है ।
नवनीत - अरे इतनी जल्दी आ गए जनाब? 
सुमेध - छोड़ आए उस लड़की को?
प्रविष्ठ गुस्से में - उस लड़की मतलब? इतना प्यारा नाम है स्नेहल । स्नेहल जी बोलोगे तुम लोग,,खास कर सुमेध अगर एक लफ्ज बोला बेचारी को तो गंगा मईया में डूबो दूंगा
सुमेध - ओए उस लड़की ने ऐसा क्या जादू चला दिया कि तेरे दोस्त दुश्मन लगने लगे?
प्रविष्ठ बड़बड़ाते हुए - क्युकी स्नेहल जी के मदद से ही नैया पार होगी मेरी
आलोक - पगला तो नही  गया है ये?
सुमेध - इससे कुछ नही पता चलेगा उस लड़की से ही पूछना होगा
___________क्रमशः________
कहानी कैसी लगी बता सकते है ..... 

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9 Comments

Sachin dev

15-Apr-2022 03:04 PM

Very nice 👌

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सिया पंडित

02-Jan-2022 10:54 AM

रिचिकर है

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Rohan Nanda

24-Dec-2021 02:32 PM

Kahani to bahut achchi h

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