स्मृति
शादी के बाद अपने ससुराल में; ये स्मृति की पहली दिवाली है, उसकी शादी को 8 महीने हो चुके हैं!
और उसने अपना घर - परिवार बहुत अच्छी तरह से संभाल लिया है, स्मृति एक खुशमिजाज और मिलनसार लड़की है; वह सब से घुलमिल कर रहती है, उसके इसी व्यवहार की वजह से उसके ससुराल में भी सब उससे बहुत प्यार करते हैं।
उसकी सास को तो अब उस पर इतना ज्यादा भरोसा हो गया है कि वह अपने घर के सभी जिम्मेदारियां स्मृति को सौंप कर बिल्कुल निश्चिंत हो गई है। स्मृति ने भी अपनी सास के भरोसे पर खरा उतरते हुए घर परिवार की सभी जिम्मेदारियों को बहुत अच्छी तरह से संभाला है।
आज से 2 दिन बाद धनतेरस है और उसके बाद दिवाली, तो स्मृति अपने घर की सफाई करने में व्यस्त है कहने को तो नौकर भी हैं लेकिन फिर भी पर्सनल चीजों की सफाई और रखरखाव वह स्वयं ही करती है। उसे पसंद नहीं घरेलू चीजों को नौकर इधर-उधर रख दे और फिर उसे ढूंढने में परेशानी हो।
आज वह स्टोर रूम के एक हिस्से की सफाई स्वयं ही कर रही थी, जिसमें कि उसके पति अक्षय और उनकी बड़ी बहन अक्षिता दीदी की पुरानी किताबें, कॉपियां व अन्य स्कूल कॉलेज से जुड़ी वस्तुओं का भंडार भरा हुआ था।
इन सब चीजों को देखकर उसे अपनी पुरानी किताबों व स्कूल से जुड़े उन सब सामानों की याद आ गई; जिसे वह अपने मायके में भी कभी रद्दी वाले को बेचने नहीं देती थी, हमेशा ही वह यादों की तरह इन चीजों को भी संभाल कर रखती थी, इसलिए वह अक्षय वा उसकी बड़ी बहन अक्षिता के लिए भी इन चीजों से जुड़े भावनात्मक लगाव को समझती थी ।
इसलिए स्मृति ने फैसला किया कि वह इन चीजों को साफ करके वापस यथा स्थान रख देगी और कोई भी चीज सफाई के दौरान फेंकेगी नहीं और ना ही रद्दी वाले को देगी, यह मन में सोच कर वह खुशी-खुशी सारी किताबों पर लगी धूल साफ करके उन्हें वापस अलमारी और गत्ते के डिब्बे में रखने लगी तभी उसके हाथ एक डायरी लगी उसने मन में सोचा यह क्या है ना किताब है और ना ही कॉपी, अच्छी तरह से साफ करने के बाद उसे पता चला यह तो एक डायरी है।
वह डायरी देखने में पुरानी लग रही थी, और साथ ही बीच से काफी मोटी थी ऐसा लग रहा था उसके अंदर कुछ एक्स्ट्रा सामान रखा हुआ है तो उत्सुकतावश स्मृति ने उस डायरी को खोल दिया वह अपने आप उसी पृष्ठ पर खुली जहां पर कुछ रखा हुआ था, स्मृति ने देखा तो वह एक सूखा हुआ गुलाब का फूल था।
वह फूल इतना ज्यादा सूख चुका था, कि ज़रा सा भी छूने से टूट कर बिखर सकता था इसलिए स्मृति ने उस फूल को ज्यों का त्यों ही रखा रहने दिया और सावधानीपूर्वक डायरी के पन्ने पर लगने लगी यह जानने के लिए आखिर क्या है उस गुलाब के सूखे हुए फूल से जुड़ी कहानी.....
उसके मन में इस समय कई तरह के विचार आ रहे थे, वह सोच रही थी कि हो सकता है या उसके पति की डायरी हो और उसके पति के शादी से पहले किसी के साथ प्यार मोहब्बत हो और उस से ही जुड़ा हुआ गुलाब का फूल यह सोचकर उसके मन में पूरी कहानी जानने की इच्छा ज्यादा हो रही थी।।
डायरी के दो तीन पन्ने पलटते ही उसे लिखा हुआ दिखा और कहानी जानने की चाह में स्मृति सफाई और घर का काम भूलकर आराम से वही बैठकर वो डायरी पढ़ने
लगी ----
तारीख- 20-10-2015
मेरे कॉलेज का तीसरा और फाइनल ईयर चल रहा है , इसके बाद पता नहीं आगे की पढ़ाई करनी है या नहीं लेकिन पढ़ाई के अलावा और कोई भी है जिसके लिए मैं कॉलेज आती हूं पिछले 2 सालों से वो सिर्फ मुझे देख रहा है दूर से ही सही लेकिन मुझे पता चल जाता है हमेशा ही, जैसे कि आज भी.....विशाल नाम है लेकिन कभी आज तक अपने मुंह से उसका नाम नहीं लिया शायद कभी जरूरत नहीं पड़ी उससे बात करनी है उसने भी तो कभी पहल नहीं की, और मैं तो बस उसका इंतजार ही करती रह गई , कि कब वो आएगा मुझसे बात करने, लगता है यह तीसरा साल भी ऐसे ही बस एक दूसरे को देखते ही निकल जाएगा।।।
स्मृति गुलाब के फूल से जुड़ी बात पढ़ने के लिए जल्दी जल्दी डायरी के पन्ने पलटने लगती है और सब की एक दो लाइन पढ़कर पन्ने आगे पलट देती है, और आगे आती है डायरी में 4 महीने बाद के पन्ने पर.....
14-02-2016
कितने दिन बीत गए यू हीं दूर से एक दूसरे को देखते देखते , लेकिन अब लगता है कि अच्छा है किया जो तुमने कुछ नहीं कहा, मैं शायद जल्दबाजी में हां में जवाब दे जाती तो बाद में हम दोनों के लिए ही बुरा होता यह सब मन में सोच कर आज जब मैं कॉलेज गई तो हुआ कुछ उल्टा ही आज वैलेंटाइंस डे था लेकिन मुझे इन सब दिनों से कोई मतलब नहीं रहता और मैं हमेशा की तरह अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान लगाती हूं लेकिन आज कोई था जो इस दिन का इंतजार कर रहा था शायद अपने दिल की बात हमसे कहने के लिए, हां वह विशाल ही था क्लास से बाहर निकलते ही कॉरीडोर में उससे मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे यह गुलाब का फूल देते हुए बोला - "आई लव यू अक्षिता, विल यू बी माय वैलेंटाइन?"
उसका प्रपोजल सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए और मैंने गुलाब का कोई उसके हाथों से अपने हाथ में लेते हुए कहा- "सॉरी, तुमने यह बात बोलने में बहुत देर कर दी" और बस इतना बोल कर मैं रोते हुए वहां से भाग गई , एक बार भी नजर उठा कर मैंने उसके चेहरे की तरफ नहीं देखा शायद देख लेती तो मैं कमजोर पड़ जाती और मना ना कर पाती एक हफ्ते पहले ही मुझे देखने लड़के वाले आए थे और उधर से हां होने के बाद मां पापा ने इस साल फाइनल एग्जाम के बाद मेरी शादी भी तय कर दी थी और मेरे पास भी कोई कारण नहीं था आए हुए इतने अच्छे रिश्ते को मना करने का बस इसलिए, गुलाब का फूल मैंने अपने पास रख लिया विशाल और अपने प्यार की पहली और आखिरी निशानी के तौर पर, और इसे संभाल कर हमेशा के लिए अपने पास ही रखूंगी।।
तारीख- 15-02-2016
मुझे नहीं पता मेरे मना करने के बाद विशाल ने कैसे रिएक्ट किया होगा या वह कहां गया लेकिन आज मेरी भी कॉलेज जाने की हिम्मत नहीं हो रही तो मैंने मम्मा से बहाना बना दिया , शायद मुझ में हिम्मत नहीं उसका सामना करने की इसलिए कि कहीं वह देख ना ले मेरी इन आंखों में तो हमेशा से उसके लिए हां थी लेकिन शायद हम एक दूसरे के लिए कभी बने ही नहीं थे और जो होता है अच्छे के लिए ही होता है बस यह सोच कर मैंने भी मना कर दिया।।
"स्मृति, यहां क्या कर रही हो अब तक, बहुत काम करती हो तुम, अब बस भी करो, शाम हो गई है यहां से बाहर निकलो तो पता चले" - स्मृति के पति अक्षय ने स्टोर रूम के अंदर आते हुए उसे आवाज लगाते हुए कहा
अक्षय की आवाज सुनकर स्मृति ने जल्दी से वार डायरी कॉपी किताबों के बीच छिपा दी और बॉक्स बंद करते हुए खड़ी हो गई, और अक्षय की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली- "हां बस हो गया सब काम , मैं बस बाहर ही आ रही थी।"
"हां, मेरे साथ बाहर चलो; वह दिवाली डेकोरेशन के लिए लाइट्स और फ्लावर के कलर फाइनल करने हैं और वह तुम्हारे बिना तो हो नहीं सकता" - अक्षय ने कहा
"हां, बिल्कुल चलो सेलेक्ट करती हूं अच्छा सा" - बोलकर स्मृति मुस्कुराते हुए अक्षय के साथ वहां से बाहर चली गई।
समाप्त।।।
सिमरन.....
पूर्णता मौलिक एवं स्वरचित....
any ansari
28-Aug-2021 11:47 AM
Good one
Reply
Zulfikar ali
21-May-2021 02:20 PM
बेहतरीन 👌
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Javed Ali
21-May-2021 12:49 PM
Beautiful story
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