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माय आर्मी लव ♥️ ए स्पाई लव स्टोरी.....(भाग - 3)

अगले दिन.... 

सभी सुबह सुबह पांच बजे ही उठ रनिंग के लिए जाते है। और एक दूसरे से रेस करने लगते है। और हंसते हुए एक दूसरे को पछाड़ने लगते है।
सभी फिर आकर नहा कर तैयार हो बैंक के काम से आर्मी कैंप के बैंक में जाने लगते है।
रास्ते में चारो जा ही रहे होते है कि एक लड़की अचानक से सुमेध से टकरा जाती है। और दोनो गिर जाते है।
वो लड़की सुमेध के ऊपर होती है ।
सुमेध - उठेंगी आप...
वो लड़की अपना चेहरा ऊपर करती है और चेहरे के बाल झटक चश्मे को सही करती है।
दोनो खड़े हो जाते है।
सुमेध - मैम आप चश्मा लगाई है तो भी संभाल के चलना नही आता?
वो लड़की - सॉरी....सॉरी.. पता नही कैसे मैं गिर जाती हु कभी भी
आलोक - कोई बात नही...आप जाइए...
सुमेध कपड़े झाड़ते हुए - क्या कर दिया? अब धुलना होगा 
नवनीत - मै धूल दूंगा भाई,,काहे भड़क रहा है
और सभी बैंक में आते है। इस बैंक में आर्मी ऑफिसर्स और आर्मी कॉलोनी के लोग आते थे।
प्रविष्ठ बुलंद आवाज में - तो क्या करना है अब?
सभी उन चारो को देखने लगते है।
तीनो हाथ जोड़ - सॉरी सॉरी
आलोक - बस भाई,, कभी तो आवाज नीची कर
प्रविष्ठ - हम बनारसी कभी आवाज नीची नही करते
नवनीत - भले ही उनकी आवाज से सामने वाले के कान फट जाए
सुमेध - भाई तू जा न पैसे निकाल
प्रविष्ठ कैश काउंटर के पास जाकर - ये चेक और ........
तीनो उसे देखते हुए - इसे क्या हुआ? ऐसे लग रहा ब्रिगेडियर सर को देख लिया
तीनो जाकर उसे हिलाते हुए - क्या हुआ? खड़े खड़े ही तो नही मर गया
प्रविष्ठ सामने देखते हुए - आप यहां??
सामने कैश काउंटर पर वही लड़की बैठी होती है जिसे प्रविष्ठ बम से बचाया था
मुद्रा - जी ..... बहुत खुशी हुई आप लोगो से दुबारा मिल
नवनीत - ओह अब समझ आया
मुद्रा - चेक दीजिए .......
प्रविष्ठ उसे चेक देता है और मुद्रा थोड़ी देर में उसे कैश देती है।
सुमेध - चले?
प्रविष्ठ - कहा?
आलोक - अपनी दुनिया आर्मी कैंप में पगले...
प्रविष्ठ होश में आकर - हा,,,चलो
सभी बाहर आते है।
नवनीत - अब बता बेटा क्या बात है?
प्रविष्ठ - क....कुछ बात नही है
सुमेध - बुलंद आवाज वाला आज हकला रहा? 
प्रविष्ठ - क्या है तुम लोग आतंकी जैसे मेरी पूछ ताछ क्यू कर रहे?
और दौड़ता हुआ आगे निकलता है। तीनो उसके पीछे भागते है।
सभी आर्मी कैंप में आते है और अपने काम में लग जाते है। और बॉर्डर की मुस्तैदी में लग जाते है। 
शाम शिफ्ट चेंज होता है,और सभी आर्मी कॉलोनी के पास मुस्तैदी करने लगते है।
तभी उन्हे एक लड़की दिखती है जो गिरी होती है और उसकी किताबे इधर उधर बिखरी होती है। आलोक दौड़कर उसे उठाता है
आलोक - अरे तुम तो वही गिरती पड़ती लड़की हो न
वो लड़की चश्मे ठीक करते हुए - हा हा मै वही हु
सुमेध आकर - क्या हुआ? इस इलाके में क्यों घूम रही? क्या आर्मी ऑफिसर्स की फैमिली मेंबर हो?
वो लड़की - नही...
सुमेध गुस्से में - तब क्यू घूम रही हो इधर?
वो लड़की - अरे मै रिसर्चर हु,,, मिलिट्री साइंस की स्टूडेंट आप लोगो पर रिसर्च करने आई हु
नवनीत - क्या तुम हम लोगो पर रिसर्च ....?? भाई वही वाला क्या को साइंसटिस्ट लोग करते है
प्रविष्ठ - पागल है क्या तू?? 
वो लड़की - मै आप लोगो की जिंदगी और दिन चर्या पर पर शोध करूंगी।
सुमेध - लेकिन तुम ऐसे नही कर सकती .... परमिशन लेना होगा पहले..
वो लड़की - मै तो ले चुकी।इसमें मेरी दोस्त मदद की। उसके दादा जी आर्मी चीफ से बात किए
सुमेध - कैसे कैसे दोस्त है। तुम्हारे दोस्तो की वजह से ही नियम कानून नही चलते इस दुनिया में
वो लड़की रुआसी होकर - आप मेरी प्रजिका को कुछ मत बोलिए
सुमेध - हा हा तुम्हारी प्रजिका..... प्रजिका ....पूरा नाम बोलो
वो लड़की - स्नेहल त्रिपाठी....
सुमेध - मैम आपकी दोस्त का नाम ?
स्नेहल - प्रजिका शेखावत फ्रॉम राजस्थान.।
आलोक - भाई तू भी शेखावत है और तेरी...
सुमेध आलोक का मुंह चाप - ठीक है तुम जाओ ज्यादा घूमो मत रात होने वाली है
और सुमेध आलोक को खींचते हुए दूसरी ओर लाता है।
नवनीत - किडनैपर क्यू बना है,, आलोक को सास तो लेने दे
सुमेध आलोक के मुंह से हाथ हटाया।
आलोक तेज सांस लेते हुए - ऐसा क्या बोला मैं कि इतनी बड़ी सजा?
सुमेध - अरे वो मेरी प्राजू की बेस्टी निकली....और मै क्या क्या इस लड़की के दोस्त मतलब प्राजू को बोल दिया। प्राजू को बता दी ये लड़की तो मेरी बहन कोर्ट मार्शल कर देगी मेरा। शहीद हो जाऊंगा भरी जवानी में,,,तो उसे पता मत लगने देना कि मै सुमेध प्रजिका का भाई हू
प्रविष्ठ बुलंद आवाज में - किसी को पता नही लगने देंगे कि तू प्रजिका का भाई है
सुमेध प्रविष्ठ का मुंह चाप - तू तो पहले ही चिल्ला कर बता देगा
और फिर मुस्तैदी के बाद रात में मेस में खाने जाते है सभी। वहा आर्मी चीफ आते है साथ में स्नेहल होती है।
चारो एक साथ - अरे ये यहां??? 
स्नेहल चारो की ओर इशारा करती है
सुमेध - हमारी ओर क्यू इशारा कर रही ये लड़की?
नवनीत - सजा मिलेगा सजा। कितना रुडली बात किया था तू उस लड़की से। कर दी न आर्मी चीफ से शिकायत
आलोक - चलो ग्राउंड का 100 चक्कर लगाने को तैयार हो जाओ जवानों...
प्रविष्ठ - ओके.....
और चारो खाना छोड़ जूते बांधने लगते है।

आगे का जानने के लिए जुड़े रहिए इस खलेखिका के साथ........... 


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7 Comments

Sachin dev

15-Apr-2022 03:04 PM

Very nice 👌

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Inayat

20-Dec-2021 04:07 PM

बहुत बढ़िया कहानी है आपकी।

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काफ़ी इंट्रेस्टिंग... चल रही है कहानी।

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