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बचपन बिकता है लेखनी प्रतियोगिता -10-Dec-2021

 बचपन बिकता है

बचपन बिकता है
तोल मोल के भाव बिकता है
छोटे छोटे हाथों और
मासूम चेहरे पर दर्द दिखता है

बचपन बिकता है

तोल मोल के भाव बिकता है


दो रोटी खाने की ख्वाहिश होती है

वरना भूखे पेट में कपड़ा

बांध कर सो जाते है

बचपन बिकता है
तोल मोल के भाव बिकता है
नीरस आंखे,  होंठ पर पपड़ी जमे
फटे कपड़े , नंगे पांव , फटी बिवाई
चिलचिलाती धूप बिना छतरी के

बरसात में मजदूरी करते है

सर पे झोपड़ी न हो तो सो जाते

गलियारा या सड़क में


बचपन बिकता है
तोल मोल के भाव बिकता है
मजदूरी करते छोटे -छोटे बच्चे
मेहनतना भी ना पूरा पाते
हट जा परे छोरे
यूं कहकर टरका.देत

बचपन बिकता है
तोल मोल के भाव बिकता है
पापी पेट का सवाल है
कुछ ना मिले तो कूड़ा
करकट से उठाकर खा लेते है

बचपन बिकता है
तोल मोल के भाव बिकता है
खिलौना ‌खेलने की उम्र में
खिलौना बेचते हैं

बचपन बिकता है
तोल मोल के भाव बिकता है
छोटी छोटी खुशी पाकर खुश हो जाते ये बच्चे
दुख और गम मे भी ना घबराते  ये बच्चे
होसलो को बुलंद कर हर पल मुस्कुराते  ये बच्चे
खुदा की रहमत में रहकर पलते ये मजदूर बच्चे

शिल्पा मोदी ✍️✍️

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7 Comments

Niraj Pandey

10-Dec-2021 11:53 PM

वाह बहुत ही बेहतरीन

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Raghuveer Sharma

10-Dec-2021 11:50 PM

bahut khub

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Shrishti pandey

10-Dec-2021 11:37 PM

Nice

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