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लेखनी कहानी -16-Aug-2023 भूतिया खन्डहर बंगला


                         भूतिया खन्डहर बंगला


                   आज बहुत बारिस होरही थी आज मौसम की पहली वर्षात थी यह रुकने का नाम नहीं लेरही थी महेश को घर पहुँचने की जल्दी थी। जब थोडी़देर के लिए बर्षा रुकी महेश ने अपनी साईकिल सम्भाल ली ।

              महेश बहुत तेज साईकिल चलारहा था।उसे आज बहुत देर होगयी थी। उसे डर लग रहाथा। महेश साईकिल चलाते हुए सोच रहाथा कि अब इस अंधेरे में उस खन्डहर बंगले  को कैसे पास किया जाय। महेश आज तक उस रास्ते से रात को कभी नही गया था।

       क्यौकि महेश के गाँव में पहुँचने के लिए भूतिया  बंगले के पास से गुजरना पड़ता था। उसको भय सता रहा था।

      उस खन्डहर बंगले  की उसने बहुत सी बाते सुन रखी थी उनको  याद आते हीं उसका शरीर डर से कांपने लगा और वह पसीने से भीग गया। यह खन्डहर बंगला उसके गाँव से कुछ दूरी पर था। उस बंगले में दिन में भी जाते हुए डरते थे।

        महेश ने अपनी साईकिल रोक कर अपने गमछे से पसीना पौछा और हनुमान चालीसा पढ़कर साईकिल चलाने लगा।

       परन्तु कुछ समय बाद वह हनुमान चालीसा पढ़ना भूल गया और फिर भूतिया  खन्डहर की बाते उसके सामने सिनेमा की रील की तरह घूमने लगी।

        अब उसे उसके पडौ़सी रामू काका द्वारा सुनाई घटना याद आगयी।

       रामू काका ने उस बंगले  की जो घटना सुनाई थी वह दस बारह साल पहले की ही थी। उन्हौने बताया था कि गाँव का एक आदमी  शहर से वापिस आरहाथा कि उसकी साईकिल पन्चर होगयी। और उसे बहुत अन्धेरा होगया।

      वह जैसे ही उस  बंगले के पास पहुँचा तो उसे महसूस हुआ कि कोई उसका पीछ कर रहा है। उसे किसीने बताया था कि रात में कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखना चाहिए।

                इसलिए वह पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता था परन्तु जब आवाज तेज होने लगी तब उसने पीछे मुड़ कर जो देखा उसे देखकर उसके मुँह से चीख निकल गयी।और वह वही गिर गया।

          उसकी आवाज सुनकर पास में खेतौ में काम करने वाले किसान ने उसके मुँह पर पानी डालकर उसको उठाने की कोशिश की थी फिर उसे गाँव पहुचाया था।

         सुबह लोगौ ने घटना के विषय में पूछा तब उसने डरते हुए बताया कि मेरे पीछे एक सफेद कपडौ़ में चुडै़ल खडी़थी। जिसके पैर पीछे की तरफ थे।

        महेश को यह घटना की याद आते ही पूरा शरीर पीपल के पत्ते की तरफ काँप रहा था।

       महेश अपनी साईकिल को चलाकर आगे की तरफ धकेलने की कोशिश कर रहा था। परन्तु वह सफल नहीं होरहा था।

      उसी समय महेश को किसी बच्चे की रोने की आवाज  सुनाई पडी। अचानक उसकी साईकिल रुक गयी और उसे साईकिल के पहिये के साथ एक बच्चा पडा। दिखाई दिया।

       उसने साईकिल से उतरकर बच्चे को अपनी गोद में उठालिया।और उसे चुप कराने की  कोशिश करने लगा। परन्तु बच्चा लगातार रोये जा रहा था। महेश सोच रहा था  कि इतनी रात को यहाँ यह बच्चा कौन छोड़ गया है? 

        कुछ समय बाद अचानक ही उस  बच्चे का रोना बन्द होगया परन्तु उसका बजन बढ़ता ही जारहा था। अब महेश बच्चे को सम्भालने में अस्मर्थ महसूस कर रहाथा।

        अचानक एक हवा का तेज झौंका आया और उसकी आँखौ के सामने अँधेरा छागया  और उसकी आँखैं बन्द होगयी। जब उसकी आँखैं खुली तब वहाँ कोई बच्चा नहीं था।

        अब महेश अपनी साईकिल को तेज  दौडा़ने की कोशिश करने लगा । कुछ समय बाद वह अपने घर पहुँच गया और किसी से बिना मिले ही सोगया।

      जब वह सुबह अपनी चारपाई से उठने की  कोशिश करने लगा परन्तु  वह उठ नहीं सका था क्यौकि उसका पूरा शरीर दर्द से दुख रहा था।जब उसकी पत्नी ने उसको देखा तब उसको बुखार था।

    महेश रात की घटना को याद करके भय से काँप रहा था। वह उस धटना को किसी को बताना नहीं चाह रहा था। वह जानता था कि सब आँखौ का भ्रम बतायेगे।

     गाँव के डाक्टर को बुलाकर चैकप करवाया तब उसने सब ठीक बताया और कहा कि इनके अन्दर किसी का डर है।और कोई बात नहीं है।

      महेश ने अपनी पत्नी को रात की घटना बताई तब वह हसने लगी परन्तु उसकी माँ ने गाँव के एक बाबा से झाडा़ लगवाया और धीरे धीरे महेश का डर दूर हौने लगा। तब उस  बाबा ने बताया कि  उस बंगले  में रात को कोई आत्मा घूमती है। और वह रात को गुजरने वाले को डरा देती है।

      अब महेश ने रात को वहाँ से गुजरने की तोबा करली।


आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"


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6 Comments

RISHITA

27-Aug-2023 08:25 AM

very nice

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madhura

19-Aug-2023 07:02 AM

amazing

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Alka jain

17-Aug-2023 11:10 PM

Nice

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