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पोता





।।दादी दादा अर पोता-परिवार है सम्पूर्ण होता।।
आज जेठ सुदी दूज विक्रमी सम्वत् 2080 रविवार तदनुसार 21मई, 2023 को लेखनी दैनिक कविता प्रतियोगिता स्वैच्छिक "पोता" विषय पर एक विशेष काव्य रचनाः

                  *पोता* 


है दादा-दादी 
पोते संग बंधन
है प्रबन्धन।।

है दादा-दादी
पोते से परिवार
सही आधार।।

महत्वपूर्ण
दादी दादा पोते से
पूर्ण होते हैं।।

रिश्ते के लाभ
दादा-दादी र पोते
संस्कार होते।।

पोते के रिश्ते 
प्यार  र  समान है
स्वाभिमान है।।

प्यार है प्यार
साहचर्य  आधार
आनंद सार।।

पोता आनंद 
परम  दादी  दादा
पूर्ण हो वादा।।

पोता है शान
भाग्यशाली समान
है स्वाभिमान।।

दादा-दादी के 
होते पोते चिराग
जागते भाग।।

दादा-दादी के
बीच का बंधन है
प्रबंधन है।।

पोते के रिश्ते 
दादा-दादी से होते
चैन से सोते।।

भावनात्मक 
बंधन महत्वपूर्ण 
खुशियाँ पूर्ण।।

पोते से रिश्ते
दादा में उजागर 
प्यार सागर।।

यह सुनना 
आम है दादा-दादी 
घणी आजादी।।

पिता के पिता,
होते पिता की माता
हे दादी दादा।।

 है दादा-दादी 
के पास निज पोते
साथ रहते।।

है पृथ्वीसिंह
 सम्पूर्ण जिम्मेदारी 
दादा-दादी री।।
©®  
'कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई' 
राष्ट्रीय सचिव, जेएसए, बीकानेर,
लेखक, पत्रकार, साहित्यकार,
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी-प्रवक्ता अखिल भारतीय 
जीवरक्षा बिश्नोई सभा, अबोहर, हॉउस नं. 313, 
सेक्टर 14 (श्री ओ३म विष्णु निवास) 
हिसार (हरियाणा)-125001 भारत
फोन नंबर-9518139200,
व्हाट्सएप-९४६७६९४०२९




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4 Comments

Punam verma

22-May-2023 08:58 AM

Very nice

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Abhinav ji

22-May-2023 08:23 AM

Very nice 👍

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सुन्दर सृजन

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