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लेखनी प्रतियोगिता बेटी -27-Apr-2023

               बेटी 

जग
सूना आँगन, सूना घर कर के चली गयी ,
बेटी क्या गयी, घर की  रौनक उड़ गयी।

रोशनी फक्त  चिरागो  मे ही  नही  होती, 
उजाला तो बेटियां  भी घर  में कर गयी।

मां-बाप ने अपने खून से जिसे सिंचा था, 
वो  जिगर  का   टुकड़ा, पराई  हो  गयी।

घर का मेला सूनसान  नयअँधेरे में डूब गया, 
जब चिडिया   दूसरी डाल  पे चली  गयी।

खुशियां लेकर जन्म लिया, बाबूल के आंगन में,
पराये ने हक जताया, बाबूल का घर सूना कर गयी।

ये नसीब वालों को मिलती हैं बेटियां  
 वो पराई होकर भी 'ज़ाकिर'! हर दिल में घर कर गयी।

# दैनिक प्रतियोगिता हेतू। 

ज़ाकिरहुसेन। 

मुंबई।

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6 Comments

Muskan khan

28-Apr-2023 09:08 PM

🤗

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बहुत खूब

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Abhinav ji

28-Apr-2023 09:26 AM

Very nice 👍

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