लाइब्रेरी में जोड़ें

पतझड़ के बाद(भाग 2)

जब पता चला कि शोभा जी हॉस्पिटल में हैं तो शाम को सब उनसे मिलने गए।शोभा जी पहले से बेहतर थी और अपने सभी मित्रों से मिलकर उनको बहुत अच्छा लगा।पर शोभा जी की बड़ी बहू उनके नए मित्रों के बारे में जानकर कुछ नाखुश सी थी। पर उसने किसी से कुछ नही कहा।
अगले दिन भी आनंद जी शोभा जी से मिलने हॉस्पिटल पहुँचे।जब तक वो थे शोभा जी किसी न किसी बात से हँसती खिलखिलाती रही।यह बात उनके बेटे बहू को अच्छी नही लगी।
आनंद जी के जाने के बाद शोभा जी के बेटे ने कहा – माँ , ये रोज रोज क्यों आते हैं मिलने?और आप हम सबसे तो इतनी बातें नही करती और उनके साथ .... अच्छा लगता है क्या ये सब? अपने बेटे की बात सुनकर शोभा जी को हैरानी हुई ,उन्होने कहा –कहना क्या चाहते हो?बताया था न कि पार्क में वॉक के लिये आते हैं वो भी।
तो यहाँ क्यों रोज आ रहे? और आपको भी सोचना चाहिए कि .......। आपका उनके साथ इस तरह खुलकर हँसना कितना बेहूदा लग रहा था।बेटे की बात सुनकर शोभा जी की आँखों में नमी उतर आई।
अगले दिन उनको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।घर तो आ गई पर डॉ. ने कुछ समय आराम की हिदायत दी थी सो वे वॉक के लिये नही जाती थी।
एक दिन शाम को आनंद जी फिर से मिलने उनके घर पहुंच गए।तो उनके दोनों बेटे घर पर ही थे।उन दोनों ने उनको बोला कि रोज रोज आपका यहाँ न आया करें, साथ ही अपनी माँ से दूर रहने की चेतावनी भी दे दी।तब आनंद जी ने उन्हें कहा कि आप गलत समझ रहे हो हम दोस्त हैं।अपनी माँ के लिये ऐसे सोचने के लिये आप दोनों बेटों को शरम आना चाहिये।
इतना कह कर आनंद जी वहाँ से चले आये।
शोभा जी का स्वास्थ्य अब ठीक हो गया था परंतु अपने बेटों को बातों  के बाद से वो बहुत उदास रहने लगी थी।और बेटों ने आनंद जी के साथ जो बर्ताव किया उसके बाद उनका सामना करने में उन्हें झिझक हो रही थी।
पिछले दो-तीन दिनों से शोभा जी का मन बहुत व्याकुल सा हो रहा रहा था।एक सुबह मन की शांति के लिए मंदिर गई थी तो वहाँ राखी जी और रमेश जी मिल गए। सबके हालचाल लिए तो उन्हें पता चला कि आनंद जी की तबियत ठीक नही है।बीपी हाई रहता आजकल,2 दिन से वॉक पर भी नही आए।
जाने क्यू पर शोभा जी की परेशानी बढ़ गई।
शाम होते ही वह कुछ निश्चय करके अपने घर से निकली ,और आनंद जी की बताई हुई लोकेशन के हिसाब से पूछते पूछते उनके घर पहुंच गई।गेट खोल कर अंदर गई , 2-3 बार बेल बजाई,कुछ देर बाद आनंद जी दरवाजा खोले तो चेहरा का पीलापन देखकर ही लग रहा था कि वो ठीक नही हैं।शोभा जी को देखकर मुस्कुरा के बोले –अरे वाह मुझे पता होता कि तबीयत खराब होने से आपसे मुलाकात होगी तो पहले ही बीमार पड़ जाता।
उनकी बात उनकर शोभा जी के चेहरे पर एक फ़ीकी सी मुस्कान आ गई।उन्होने आनंद जी के हालचाल लिये,तो पता चला कल शाम से उन्हें फीवर आ रहा है।यह जानने पर कि  उन्होंने सुबह से कुछ नही खाया है तो उन आनंद जी से अनुमति लेकर उनके लिये खिचड़ी बनाई और जिद करके खिला भी दी।फिर उन्हें ध्यान रखने का कहकर और डॉ. को दिखाने की सलाह देकर लौट गई।
लौटते समय शोभा को बहुत ख़ुशी थी ,और तसल्ली भी कि आनंद जी से मिलकर उनकी देखभाल करने की।
अगली सुबह वे वॉक पर गई और राखी जी-रमेश जी,परवेज भाई-आएशा जी और कमल जी को आनंद जी की तबियत के बारे में बताया और उनका ध्यान रखने का अनुरोध किया।उन्हें आनंद जी की बहुत फ़िक्र हो रही थी।

   प्रीति ताम्रकार, जबलपुर(मप्र)

   13
10 Comments

Rohan Nanda

15-Dec-2021 08:55 PM

Kya bat h..

Reply

Fauzi kashaf

02-Dec-2021 11:14 AM

Good

Reply

Zaifi khan

01-Dec-2021 09:27 AM

Nice

Reply