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लेखनी प्रतियोगिता -03-Apr-2023 रहस्य मय मौत



शीर्षक = रहस्य मय मौत




जुमेरात (बृहस्पतिवर )का दिन था, शादी के दो हफ्ते बाद एक रिश्तेदार जो की पिछली गली में ही रहते थे, उनके घर से दावत खा कर शिफा और अदनान बाते करते हुए अपने घर की और आ रहे थे


दोनों की शादी को अभी पंद्रह या बीस दिन ही गुज़रे थे, कहने को तो दोनों की अरेंज मैरिज थी, लेकिन दोनों बहुत जल्दी एक दुसरे से घुल मिल गए थे, वैसे तो अदनान इतने दिनों में शिफा को ज़ब भी कही बाहर लेकर गया तो उसने खास ख्याल रखा की शिफा को वो थोड़ा ढक छिपा कर बुरखा पहना कर लेकर जाए और शाम होने से पहले घर ले आये क्यूंकि नयी दुल्हन पर भूत प्रेत का साया बहुत जल्दी पड़ता है बड़े बुजुर्गो का कहना है


शिफा, का रंग रूप भी बहुत अच्छा था, उसकी हरी हरी आँखे उसके खूबसूरती में चार चाँद लगाती थी,रात काफी हो गयी थी बाहर गली में भी कोई नही था इसलिए शिफा यूं ही बिना अपने आप को ढके हुए बाते करते हुए अदनान के साथ चली आ रही थी


दोनों में से किसी को याद भी नही आया की आज जुमेरात था या फिर याद भी था तो करीब में ही तो घर था इसलिए शिफा ने बुरखा ओढ़ना अच्छा नही समझा रात हो रही थी इसलिए अदनान ने भी ज्यादा जोर नही दिया और दोनों हाथो में हाथ डाले घर की और आने लगे


तब ही अचानक एक पेड़ के पास पहुंच कर शिफा को कुछ ऐसा लगा मानो, उसके पैर के नीचे कुछ आया और उसे कुछ झटका सा महसूस हुआ


"क्या हुआ शिफा? तुम ठीक तो हो " अदनान ने पूछा


"कुछ नही बस थोड़ी ठण्ड सी लगी " शिफा ने कहा


"ठण्ड, वो भी इन दिनों जून का महीना चल रहा है, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है " अदनान ने कहा


"पता नही, लेकिन मुझे फुरेरी आयी ठण्ड की " शिफा ने कहा

"चलो कोई बात नही, घर आ गया है, दवाई खा कर सौ जाना और हाँ अम्मी से कहकर नज़र उतरवा लेना, हो सकता है तुम्हे नजर लग गयी हो " अदनान ने कहा


"आप भी ना, हर समय क्या मुझे नजर ही लगती रहेगी " शिफा ने कहा


"क्या पता मेरी ही लग जाती हो, आखिर कार खुदा ने इतनी प्यारी बीवी जो दी है, नजर उतारना तो बनती है " अदनान ने कहा

"आप भी ना, चलिए घर आ गया, अच्छा एक मिनट रुकिए मैं दुपट्टा सर से बांध लू, अगर आपकी अम्मी ने देख लिया मुझे इस तरह घर में आते हुए तो बेवजह आपको भी और मुझे भी डांट लगा देंगी " शिफा ने कहा घर से कुछ दूर रुकते हुए


"हाँ, अच्छा सोचा तुमने, मैं भी देखो तुम्हे ऐसे ही ले आया, खेर रात हो रही है किसी ने देखा नही होगा " अदनान ने कहा

थोड़ी देर बाद दोनों घर के अंदर चले गए, थोड़ी देर दोनों ने बाते करी और उसके बाद सौ गए, सोते सोते बीच रात में एक बेचैनी के साथ शिफा उठ कर बैठ गयी

वो इतनी ज़ोर से उठ कर बैठी की पास लेटा अदनान भी उठ कर बैठ गया और बोला

" तुम ठीक तो हो, क्या हुआ? कोई बुरा सपना देखा क्या? "


"नही मालूम, सपना था की हकीकत ऐसा लगा मानो कोई साया मेरे पास बैठा मुझे निहार रहा हो, धीरे धीरे वो मेरे करीब आता रहा और फिर बिलकुल करीब आकर बोला " तुम मेरी हो, तुम्हे मैं ले जाऊंगा "" शिफा ने कहा


ये सुन अदनान की हसीं निकल गयी

"क्या आप भी, हॅस क्यूँ रहे है? " शिफा ने कहा

"आखिर किसकी मजाल जो मेरी बीवी को मुझसे दूर ले जाएगा, मैं तो खुद इसे अपने पास लेकर आया हूँ और अब कोई इसे मुझसे लेकर जाएगा, खाल खींच लूँगा उसकी" अदनान ने कहा

"मुझे क्या पता? कौन था? बस एक साया सा था " शिफा ने कहा


 " आयतल कुर्सी पढ़ कर सौ जाओ (कुरान की एक सूरह जिसे रात को पढ़ कर सोने से कोई भी बुरा ख्वाब वगेरा नही आते )काफी रात हो गयी है, और हाँ अम्मी को मत बताना बेवजह झाड फूंक करती रहेंगी " अदनान ने कहा और शिफा की तरफ को करवट बदल कर सौ गया


शिफा थोड़ी देर तो उसी साये के ख्याल में खोयी रही, ज़ब भी आँख बंद करती उसे वही नजर आता लेकिन फिर थोड़ी देर बाद उसे भी नींद आ गयी


अगला दिन हुआ, सब कुछ अच्छे से जा रहा था, अदनान भी अपने काम पर चला गया था वो बुकिंग की गाड़ी चलाता था, धीरे धीरे शाम होने लगी और फिर रात सब लोग खाना खा कर सौ गए थे कि अचानक एक बार फिर शिफा कि आँख खुली और पूछने पर वही बताया जो पहले बताया था


इस बार भी अदनान ने उसे समझा बुझा कर सुला दिया लेकिन ये मामला थमने वाला नही था, अब ये रोज का ही मामूल बन गया था जहाँ आधी रात गुज़रती थी शिफा एक जोर के झटके के साथ उठ कर बैठ जाती थी और पूछने पर वही बताती जो पहले बताया था कि एक साया जो पहले तो दूर खड़ा उसे निहारता है और फिर नजदीक आकर कहता है कि वो उसे बहुत प्यारी लगी है, वो उसे ले जाएगा एक दिन


अब तो अदनान को भी थोड़ा डर सा लगने लगा था इसलिए सारी बात घर वालों के बीच आ गयी थी, शिफा कि सास उसे दिखाने के लिए ओझा के पास ले गयी जहाँ उसे पता चलता है कि इसके ऊपर किसी जिन्न का साया है, लेकिन डरने कि कोई बात नही है, अभी उस जिन्न ने अपना असर दिखाया नही है, अभी उसे इससे दूर किया जा सकता है, कुछ महीनों का कोर्स है जिसमे इसे आना होगा मैं कुछ ताबीज़ दूंगा जो इसे पीना होंगे और जलाना होंगे लेकिन याद रखना ज़ब तक मैं मना ना कर दू तब तक बीच में इसे मत छोड़ना तब ही उस जिन्न से इसे छुटकारा मिल पायेगा नही तो वो इसे अपने साथ ही ले जाएगा, ये उसको पसंद आ गयी है


ये सुनने के बाद तो सब के पैरों तले जमीन निकल गयी थी, लेकिन एक उम्मीद भी दिखाई दे रही थी उसी उम्मीद के सहारे अदनान और शिफा ने अपनी जिंदगी के आगे के सफऱ को तय करना शुरू कर दिया


जैसे जैसे इलाज आगे बढ़ता रहा, शिफा को वो ख्वाब आना बंद हो गए फिर एक दिन शिफा को पता चला की वो अदनान के बच्चें की माँ बनने वाली है, शादी को कई महीने गुज़र गए थे इस खुशखबरी ने मानो घर में खुशियाँ ला दी हो


अब शिफा पर से मानो जिन्न का साया भी उतर सा गया था और तो और अब नए मेहमान के आने की भी ख़ुशी थी सबको, सब लोग बेसब्री से उसके आने का इंतज़ार कर रहे थे, इन सब के बीच भी शिफा की सास उसे उन बाबा के पास लेकर जाना नही भूली क्यूंकि भले ही उन लोगो की नजरों में जिन्न का साया उतरा हुआ नजर आ रहा था, लेकिन कही ना कही वो अभी भी शिफा के पीछे था तब ही तो कभी ना कभी उसे किसी के होने का एहसास होता ज़ब वो छत पर अपने कमरे में होती या फिर कही अकेली बैठी होती
और तो और अभी बाबा जी ने भी कोर्स ख़त्म करने से मना नही किया था


सुबह होती शाम होती, दिन हफ्ते बन जाते और हफ्ते महीने बन कर आखिर कार वो दिन ले आये ज़ब शिफा ने अपनी ही तरह एक खूबसूरत से बेटे को जन्म दिया, सब लोग खुश थे, अस्पताल से शिफा घर आ गयी थी

वो नही जा सकती थी तो उसकी सास ही उसके लिए ताबीज़ ले आती

इसी तरह तीन साल गुज़र गए, इतना लम्बा कोर्स चलता रहा शिफा का और फिर घर के काम और जिम्मेदारी में उलझ कर शिफा का और उसकी सास का ताबीज़ लाने का सिलसिला बंद हो गया और वैसे भी अब शिफा ठीक हो गयी थी बेवजह पैसे बर्बाद करने से क्या होता


जिस घर में वो लोग रहते थे, वो किराये का घर था इसलिए उन्हें वो घर खाली करना पड़ा, नया घर ढूंढ़ने में बहुत दिक्कत आयी और तो और इतना बड़ा घर नही मिला जिसमे सब लोग रह सकते थे, क्यूंकि अदनान के दो भाई और भी थे जिनकी भी शादी की उम्र हो गयी थी इसलिए अदनान ने अपना छोटा सा किराये का घर अलग ले लिया और बाकी वो लोग थोड़ी ही दूर पर अलग घर में रहने लगे


अदनान के काम पर जाने के बाद शिफा घर पर अकेली रहती, क्यूंकि उसका बेटा भी स्कूल जाने लगा था, शिफा बहुत अच्छे से अपने बेटे की परवरिश कर रही थी, कि अचानक एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी को उम्मीद नही थी, शिफा बेहोश होकर नीचे गिर गयी अदनान खाना खाने आया तो और उसे देखा तो भागता हुआ अस्पताल ले पंहुचा उसकी आँखे सुर्ख हो रही थी


उसे होश आया तो कुछ भी याद नही था, उसे घर ले आये और फिर कुछ ऐसा हुआ जिसका किसी ने सोचा नही था, शिफा कि आवाज़ मर्दाना हो गयी थी और वो बस यही कहती " कि मैं इसे लेकर जाऊंगा, ये मेरी है, ये मुझे पसंद है,"


सब जान गए थे कि क्या माजरा है, जिन्न वापस आ गया है, पहले वो सब के साथ रहती थी इसलिए वो उस पर हावी नही हो पाया था लेकिन अब वो अकेली रहती थी जिस वजह से जिन्न को मौका मिल गया था और तो और अब उसका इलाज भी नही हो रहा था



अदनान और उसके परिवार वाले दोबारा उन्ही बाबा के पास पहुंचे और फिर सारी सूरत ए हाल बयान की, बाबा ने इस बार फिर थोड़ा दाढ़स बांधया और फिर इलाज शुरू किया और दो साल तक चलता रहा कभी कभी बीच में शिफा पर दौरे पड़ने लगते और वो मर्दाना आवाज़ निकाल कर वही कहती की मैं इसे ले जाऊंगा



पांच साल गुज़र गए थे, उनका बेटा भी बड़ा हो गया था, शिफा अब पहले जैसी नही रही थी, वो उदास रहती थी मानो कुछ है जो उसे अंदर ही अंदर खाये जा रहा है, अदनान की माँ भी दिन में कई बार उसके पास जाकर आती ताकि वो अकेली ना रहे, उन्होंने घर भी ढूंढा जहाँ सब साथ रह सके लेकिन कोई घर ही नही मिल रहा था और तो और दुसरे भाई की भी शादी हो गयी थी


शिफा, अकेला रहना पसंद करने लगी थी, अपने बेटे को वो अपने आप ही पढ़ाती थी, और फिर एक दिन ज़ब अदनान काम पर था, उसका बेटा अली मदरसे गया हुआ था सास भी अपने घर पर किसी काम में व्यस्त थी  कि तभी बहुत देर बाद उनका पोता भागता हुआ आया


"दादी, दादी अम्मी दरवाज़ा नही खोल रही है, अम्मी दरवाज़ा नही खोल रही है " अपने पोते की आवाज़ सुन अदनान की माँ बाहर दौड़ी चली आयी और उससे सारी बात पूछी


"उसने बताया की मैं बहुत देर से दरवाज़ा खट खटा रहा हूँ लेकिन अम्मी दरवाज़ा नही खोल रही है, जबकी दरवाज़ा अंदर से बंद है, आज अम्मी की तबीयत कुछ ठीक नही लग रही थी कही उन्हें कुछ हो तो नही गया " अली ने कहा


अपनी बहु के बारे में अपने पोते से सुन वो भी दौड़ी चली आयी, अदनान को भी फ़ोन करा दिया क्यूंकि एक चाभी उसके पास भी थी, वो भी दौड़ा दौड़ा आया, घर के बाहर लोगो की भीड़ लगी थी उसने आने में देर कर दी थी ज़ब अंदर से कोई जवाब नही आ रहा था तब मोहल्ले वालों ने दरवाज़ा तोड़ दिया और दरवाज़ा तोड़ने के बाद जो मंजर सामने था वो बहुत ही खौफनाक था, पंखे पर फांसी पर लटकी शिफा झूल रही थी उसका शरीर नीला पड़ गया


पुलिस भी आ गयी थी सबके बयान भी लिए जा चुके थे, काफी छान बीन भी की, आस पड़ोस से भी पूछा दहेज़ का केस भी बनाना चाहा लेकिन कोई भी मोहल्ले वाला इस बात पर नही राजी हुआ की शिफा ने जान दहेज़ की वजह से दी होगी, मोहल्ले वाले भी जानते थे की उसका इलाज चल रहा था उस पर जिन्न का साया था और शायद आज वही जिन्न उसे अपने साथ ले गया


शिफा की इस रहसमय में मौत की वजह वो जिन्न ही है, खेर कानून तो नही मानता भूत प्रेत में वो तो सबूत के बिना पर फैसला सुनाता है, लेकिन उसके केस में कोई और सबूत मिला भी नही जिसके चलते केस बंद हो गया, आज भी सब को यही लगता है की शिफा को वो जिन्न ही अपने साथ ले गया जो पिछले पांच साल से उसके पीछे था उसकी रहसमय मौत की वजह वो जिन्न ही था 


समाप्त,,,,,


वैसे तो हम भी भूत प्रेत के होने या ना होने पर विश्वास नही रखते है, लेकिन इन्हे झूठलाया भी नही जा सकता है, ये कहानी एक सत्य घटना है, जो की हमारे बहुत ही करीबी रिश्तेदार के घर घटी थी, और उन्होंने स्वयं अपनी बहु को मर्दाना आवाज़ में बात करते देखने का अनुभव किया है जो की यही कहती थी की मैं इसे ले जाऊंगा और फिर शादी के कई साल बाद अचानक उनकी रहसमय मौत ने साबित कर दिया की शायद वो जिन्न उसे अपने साथ ले गया क्यूंकि मोहल्ले वालों से अच्छा कौन जानता है उनके अनुसार कोई भी घरेलु कीच कीच नहीं थी सास अलग रहती थी और बहु बेटा अलग किराये के घर की वजह से


प्रतियोगिता हेतु 

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10 Comments

Vedshree

06-Apr-2023 08:17 AM

शानदार प्रस्तुति 👌👏

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👌👌👏

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