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लेखनी प्रतियोगिता -19-Mar-2023

सुबह होते ही 

आज भी
पक्षियों की चहचहाहट
सूरज  लालिमा लिए हुए
वृक्ष को निहारता है
जहां आज भी भोले भाले लोग 
बसते हैं
जहां सड़कें चौड़े नहीं
पगडंडियों में रास्ते हैं
जहां फ़ैशन का आज भी
चलन नहीं है
किसी के सुख से कोई दुखी
हो जाएं ऐसा
 किसी मन नहीं है
लेकिन तजुर्बा है उनको बातों
रिश्ते निभाने की अहसासो का
कर्तव्य से पीछे हटते नहीं
और कितना ही संघर्ष क्यों न
हों पीछे डिगते नहीं है
अरे जहां जीवन भी आराम
से ठाव लेता है
और जब हताश हो जाता है 
आदमी
अपने काम से तब  तब
गांव का नाम लेता है
हैंडपंप से जहां लोग 
आज भी लाइन लगाकर 
पानी भरते हैं
सुख में दुःख में मिलकर
काम करते हैं
अरे गांव की क्या बात 
जहां लोग प्रेम के बोल
बोलते हैं
और रिश्तों को ही 
अनमोल बोलते हैं
जहां बड़े बरगद के वृक्ष
नीचे सुकून की छांव है
और वही तो मेरा गांव है





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2 Comments

Varsha_Upadhyay

20-Mar-2023 08:45 AM

बहुत खूब

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