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फिज़ा

*लेखनी काव्य प्रतियोगिता*
*15 मार्च,2023*
*शीर्षक :फिज़ा*

अदा फिज़ा बिखेरती सुरम्य दृश्य भावना।
सदा विरंग रंगदार शानदार कामना।।

मजा सभी सप्रेम लूटते हुए सहर्ष हैं।
समग्र भूधरा हरी सभी जगह अकर्ष हैं।।

मनोविनोद हो रहा समस्त मन प्रसन्न हैं।
फिज़ा सुगंध मारती महक रहे सुअन्न हैं।।

पवित्र ध्यान मग्नता सुनिष्ठ स्नेह साधना।
गृहे गृहे मचल रही अनंत बार आंगना।।

मनोहरी छटा फिज़ा सदेह है बिखेरती।
अनंग नृत्य कर रहा रती स्वयं उकेरती।।

थिरक थिरक अचल सचल सतत मयूर नाचते।
अदूर दूर के पथिक निकट पहुंच सुवासते।।

अतर तरो सुताजगी कदंब डाल श्याम हैं।
नयन मिलाय गोपियां रचे व्रजेंद्र धाम हैं।।

 न व्यर्थ गांव नाचता न द्वेष भाव जागता।
अधर्म छोड़ बस्तियां सुदूर मूर्ख भागता।।

कमालदार है फिज़ा यहां न कष्ट है कभी।
स्वधर्म प्रेम योग साहचर्य में लगें सभी।।

साहित्यकार डॉक्टर रामबली मिश्र वाराणसी।

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6 Comments

अदिति झा

16-Mar-2023 02:32 PM

Nice 👍🏼

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Swati chourasia

16-Mar-2023 08:53 AM

वाह बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌👌👌👌👌

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Wahhhh आप बेजोड़ हैं sir बेहतरीन शब्द संयोजन और चयन तो एकदम विशुद्ध साहित्यिक,,, outstanding

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