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वो पेंटिंग

जिया उसकी बड़ी बहन रामिया उसका छोटा भाई अनुज
तीनो स्कूल से वापस आते ही खेलने लगे ।
अरे बच्चो जल्दी जल्दी खाना खाओ और अपना पूरा गृह कार्य पूरा  कर लो शाम को तुम्हारे पापा मेला ले कर जायेगे।
ऐ मजा आ गया आज तो सच ममा पापा ले जायेगे आज
हम कब से कह रहे हैं
हा बेटा आज जल्दी आ जायेगे पापा ओर हम सब को मेले ले जायेगे,,,प्यार से समझाया तरू ने
शाम को संजय अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर मेले गया हर तरफ भीड़ , खाने पीने की चीजों , खिलौनो  से सजी दुकानें , कहीं चूड़ी तो कहीं हार पर नजर जिधर भी जाती मन करता सब कुछ खरीद ले ।
मेले में आकर तो बड़े भी बच्चे बन जाते हैं उनके साथ खाना , झूला झूलना ,गोल गप्पे , सब कुछ उनको बचपन में ले जाता है ।
तीनो बच्चे खूब मजे ले ले कर हर चीज देख रहे थे
वही पर एक दुकान पर बहुत से पेंटिंग रखी थी कुछ मूर्तियां, अलग अलग तरह की ....
जिया ने वहा रखी एक पेंटिंग  देखी ओर उस में ऐसी खो गई कि उसे पता ही नहीं चला कब उसने उसकी बहन का हाथ छोड़ दिया
और वो वहीं रह गई सब आगे निकल गए वो तो बस उस पेंटिंग को निहारे जा रही थी जैसे उसका कोई नाता हो ओर वह उसे अपने पास बुला रही हैं ।
उधर जिया साथ नहीं है ये जानकर मम्मी पापा बहन सब का बुरा हाल था
अजीब डर के कुछ गलत ना हो जाए कहीं अपनी बच्ची को खो ना दे ।
कोई उसे कही ओर ना ले जाए एक पल एक नया डर सामने आ जाता
दुबारा सब पीछे की ओर जिया की खोज में निकल पड़े । वहा खड़ी पुलिस से भी मदद ली गई
मेले का आगाज जितना अच्छा हुआ था अब सब कुछ
खत्म हो गया लगता था
वापस उसी दुकान पर आए जहा मूर्तियां पेंटिंग देखी थी तो ये क्या जिया तो अभी भी वही खड़ी अब भी उस एक
पेंटिंग को देखे जा रही थी.....…......

क्रमशः ......


@ रेणु सिंह " राधे " ✍️


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11 Comments

Sachin dev

06-Dec-2021 10:25 PM

Very nice 👌

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Seema Priyadarshini sahay

06-Dec-2021 05:59 PM

बहुत बढ़िया शुरुआत

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Chirag chirag

02-Dec-2021 09:10 PM

बहुत खूबसूरत

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