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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 51

ब्लैक बेंगल्स चेप्टर 51

                    हाँ प्यार करता हूँ उससे

अब तक आपने पढ़ा ज्योति विराज से किसी लड़की को परेशान करने के लिए लड़ती है और विराज के पापा मिस्टर करियप्पा से मिलती है अगले दिन कॉलेज आती है तो कुछ लड़के उसे घेर लेते हैं ज्योति उनसे बचने के लिए पीछे होने लगती है तभी अक्षत और विराज से टकरा जाती है और जाके अक्षत के गले लग जाती है 

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"अब आगे"

अक्षत और विराज ज्योति को अपने पीछे कर लेते हैं.... अक्षत उन्हे घूरते हुए कहता है "क्यों अकेली लड़की देखकर, उसे परेशान करने चले आये"

विराज अपनी शर्ट की बाजु फोल्ड करते हुए कहता है "तुम्हे हमसे कौन बचाएगा वो सोचो" वो लड़का कहता है "हमे तुम दोनो से कोई प्रॉब्लम नही है लेकिन इस लड़की की वजह से किसी ने हमारी दोस्त को परेशान किया है.... हम इसे नही छोड़ेंगे"

विराज उस लड़के को घूरते हुए कहता है "मैंने किया है उसके साथ जो भी हुआ है"
वो लड़का हस्ते हुए कहता हैं "वाह एक फूल दो माली.... दो दो को एक साथ खुश रखना.... वाह काफी टैलेंटेड है"
उसका इतना कहना था की... विराज एक ज़ोरदार मुक्का उसके मुह पर मारता है जिससे वो लड़का ज़मीन पर गिरता है 
अक्षत उसका कॉलर पकड़ते हुए कहता है "दुबारा उसके खिलाफ ऐसी घटिया बात की ना... तो जान से मार दूंगा".. 

वो लड़का अपने होठों के साइड से खून साफ करते हुए कहता है
 "आखीर लगती क्या है वो तुम दोनो की..... तुम दोनो भी जानते हो वो किसी एक की ही हो सकती है"

अक्षत उसका गला पकड़ते हुए.. गुस्से मे दांत पिसते हुए कहता है "दोस्त है हमारी... और हम किसी को उसे तकलीफ पहुंचाने की इजाज़त नही देते"

वो लड़के वहाँ से चले जाते हैं अक्षत ज्योति के पास आता है और उसका हाथ पकड़ लेता है "सब ठीक है.... अब कोई तुम्हे परेशान नही करेगा"

ज्योति नज़र उठा कर अक्षत को देखती है.... उसकी आँखो मे आँसु और तकलीफ देख विराज गुस्से मे मुट्ठी बांध लेता है... अक्षत का दिल ही टूट जाता है

ज्योति रोते हुए केहती है "मैंने किसी को नही फसाया मिस्टर हैंडसम... मैंने कुछ नही किया... हम तो सिर्फ दोस्त हैं ना... ये लोग मेरे बारे मे इतनी घटिया बात सोच भी कैसे सकते हैं" ज्योति लगातार रोये जा रही थी... 

विराज वहाँ से चला जाता है और अक्षत अभी भी उसे समझा रहा था...... तभी विराज दुबारा उस लड़के को घसीटते हुए लाकर ज्योति के सामने पटक देता है... और उसे गुस्से से तेज़ आवाज़ मे कहता है "माफी मांग उससे"

वो लड़का उठते हुए कहता है "नही मै माफी नही माँगूँगा"
विराज उसे मारने लगता है और मारते हुए कहता है "मैंने कहा उससे माफी माँग" विराज को इतना अग्रेसिव होते देख अक्षत.... विराज को उस लड़के से दूर करते हुए कहता है "विर बस करो वो मर जायेगा"

विराज उसे मारते हुए कहता है "मर जाए ....जी कर करेगा भी क्या"
अक्षत विराज की आँखो मे एक अलग ही जुनून देख रहा था... अक्षत ज्योति को एक नज़र देखता है और प्यार से कहता है "तुम क्लास मे जाओ... मै इसे समझाता हूँ"

ज्योति परेशान होते हुए केहती है "लेकिन विर को" अक्षत उसकी बात काटते हुए कहता है "मै हूँ ना तुम जाओ" ज्योति हाँ मे सर हिलाती है और वहाँ से भाग जाती है.. 

अक्षत विराज को रोकता है और जबरदस्ती अपने साथ खीचते हुए उसे बास्केटबॉल कोर्ट ले आता है.... विराज अभी भी बोल रहा था "मिस्टर हैंडसम तु मुझे जाने दे मै उसे जान से मार दूंगा"
अक्षत उसे बहुत समझाने की कोशिश करता है लेकिन वो नही मानता है 

अक्षत गुस्से मे एक ज़ोरदार थप्पड़ विराज के गालों पर जड़ देता है और गुस्से मे उसका कॉलर पकड़ते हुए कहता है "ये क्या पागलपन है वीर"

अक्षत उसका कॉलर पकड़े हुए उसकी आँखो मे देखता है और कहता है "यह जुनून सिर्फ दोस्ती का नहीं लगता...सच बता"
 विराज अक्षत से दूर होते हुए कहता है "ऐसा कुछ नहीं है तू ज़ादा सोच रहा है"

अक्षत हल्के गुस्से में कहता है "देख वीर सच बता दे वरना तू जानता है मैं तेरे साथ क्या कर सकता हूं....और तेरा यह जुनून खुद बता रहा है कि वह सिर्फ तेरी दोस्त नहीं है दोस्त से तभी"
विराज चीखते हुए कहता है "हां नहीं मानता मैं उसे दोस्त...नहीं है वह मेरी दोस्त मैं.....प्यार करता हूं उससे और बेइंतेहा करता हूं"


विराज की बात सुन अक्षत खामोश हो जाता है और उसे देखते हुए कहता है "तू जानता है ना मोहब्बत में यह पागलपन नहीं चलता"

 विराज एक मुस्कान के साथ कहता है "जिस मोहब्बत में पागलपन ही ना हो वह मोहब्बत नही होती बस एक रिश्ता होता है....मोहब्बत का दूसरा नाम ही पागलपन है...और तू फिकर मत कर मेरा पागलपन उसे कभी नुक्सान नही पहुंचाएगा"

अक्षत उसे देख ना मे सर हिला देता है.... फिर दोनो वहाँ से चले जाते हैं.. 

विराज ज्योति को कॉल करता है.... और घर चलने के लिए केहकर कॉल कट कर देता है करीब दो मिनट बाद विराज गेट की तरफ देखता है, तो ज्योति भागते हुए बाहर आ रही थी

ज्योति विराज के पास आती है और हाफ़ते हुए केहती है "चलो अंकल जी इंतज़ार कर रहे होंगे" 
विराज उसे अजीब तरह से देखते हुए कहता है "तुम्हे क्या पी टी उषा बनना है"
ज्योति उसे घूरते हुए केहती है "नही तो" विराज फिर उससे पूछता है "तो क्या किसी के साथ भागने का इरादा है"
ज्योति इरीटेट होते हुए केहती है "वीर दिमाग खराब है क्या... कुछ भी बोले जा रहे हो"
विराज चिढ़ते हुए थोड़ी तेज़ आवाज़ मे  कहता है "तो भागती क्यों रहती हो"

विराज की बात सुन ज्योति मुह बना लेती है... तभी उसकी नज़र अक्षत पर पड़ती है.... ज्योति अक्षत के पास भाग जाती है...और उसकी बाजू पकड़ कर खीचते हुए केहती है "मिस्टर हैंडसम तुम भी हमारे साथ चलो"

अक्षत कुछ कहता उससे पहले ही विराज कहता है "हाँ तुम्हे भी आर्मी जोइन करनी है तो तुम भी हमारे साथ चलो"
अक्षत कहता है "लेकिन वीर अंकल ने सिर्फ तुम्हे और मिस शर्मीली को बुलाया है"

विराज कहता है "डैड ने मेरे दोस्त को बुलाया है... और शायद हम दोनो भी दोस्त ही हैं क्यों"

विराज का ताना सुन अक्षत भी कुछ नही कहता है और तीनों विराज के घर के लिए निकल जाते हैं .... 


रिश्ता निभाने की चाहत हो
तो दुआओं की ज़रूरत नही होती

रिश्ता निभाने की चाहत ना हो तो
दवाएं भी काफी नही होती

बात बस चाहत की होती है वरना दोस्ती
ऐसा रिश्ता है जो हर बार मुक्कमल नही होती

कैसी होगी मुलाकात इन तीनों की मिस्टर करिअप्पा से?  विराज की मोहब्बत क्या रंग लाएगी इनकी रिश्ते के बीच? 

जाने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ब्लैक बेंगल्स मिलते हैं अगले चेप्टर में तब तक के लिए 
 
            ..........बाय बाय.......

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11 Comments

शानदार प्रस्तुति 👌

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बेहतरीन भाग

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प्रिशा

03-Feb-2023 10:51 PM

Behtarin rachana

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