लम्हें लम्हें का वो सारा हिसाब लाए हैं।

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प्रतियोगिता हेतु। ग़ज़ल अपनी चाहत की ,मुकम्मल किताब लाए हैं। दिल  में हमने बसाए, थे वो ख्वाब लाए हैं।। इस   नए    दौर  में  ,मिलती नहीं है ढूंढे से। आप   नज़रों  ...

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