अन्तरघट रीते

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अंतरघट रीते..! कैसी दुनियादारी है, हम हैं जिसमें जीते। बाहर से हैं भरे-भरे, पर,अंतरघट रीते।। जन्म लिया है जलसों में,  बड़ा हुआ उल्लासों। नहीं कमी है साधन की,  युद्ध छिड़ा प्रयासों।। ...

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