कबीर दास जी के दोहे

0 भाग

17 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

वस्तु है ग्राहक नहीं, वस्तु सागर अनमोल बिना करम का मानव, फिरैं डांवाडोल।।  ...

×