कबीर दास जी के दोहे

404 भाग

27 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

पढ़त गुनत रोगी भया, बढ़ा बहुत अभिमान भीतर ताप जू जगत का, घड़ी न पड़ती सान।।  ...

अध्याय

×