मदिरा सवैया

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मदिरा सवैया होय सपूत अगर घर में,सुख-शांति वहाँ नित आवत है। गावत ढोल-मजीर लिये, प्रभु चेतन रूप दिखावत है। मात-पिता खुश हों अनुदिन, प्रिय पूत सुमङ्गल गावत है। बीतत रैन-दिवा सुख ...

अध्याय

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