1 भाग
228 बार पढा गया
16 पसंद किया गया
विषय:-- स्वैच्छिक "ताल- तलैया रीते.!" रात -दिन पानी बरसा, फिर भी ताल-तलैया रीते,। फट जाती चादर जीवन की, जब-जब उसको सीते।। सावन ने खूब कमाया, फिर भी घर है खाली। पतझर ...