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रोली सजल (अभिनव छंद) अभिनव का सत्कार, धर्म प्रायोगिक है। होता रहे प्रयोग, कर्म यह भौतिक है।। नूतन चिंतन होय, नयापन आयेगा। उत्तर होय विकास, मर्म प्रिय लौकिक है।। रहे प्रयोगी ...