कबीर दास जी के दोहे

0 भाग

34 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

जो तु चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस मुक्त ही जैसा हो रहे, सब कुछ तेरे पास।।  ...

×