कबीर दास जी के दोहे

404 भाग

18 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

जीवत समझे, जीवत बुझे, जीवत ही करो आस जीवत करम की फाँसी न कटे, मुए मुक्ति की आस।।  ...

अध्याय

×