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रे सखि! (चौपाई) रे सखि! सावन बनकर आओ। अमृत जल से अब नहलाओ।। नाचो आ मेरे आँगन में। सदा बरसना मेरे मन में।। बन जाओ तुम आज बदरिया। आओ ओढ़ी ...