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हरिहरपुरी के रोले रचना करना नित्य, लेखनी चलती जाये। कविता का उन्माद,हृदय में अब छा जाये।। सुखद विचार-विमर्श, सदा करते रहना है। मेल-जोल का भाव, सदा जन-जन भरना है।। रच साहित्य ...