मदिरा सवैया

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मदिरा सवैया प्रातः काल उठो प्रभु के चरणों पर आपन शीश झुके। देखि सुहावनि निर्मल मूरत प्रेममयी खुद माथ टिके। वंधन में प्रभु के रहना उनका अभिनंदन ही मन के। नाचत ...

अध्याय

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