दस्तक तो दी होती

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नमन मंच मेरी लेखनी   20/1/3         दस्तक तो दी होती ऐसी भी क्या होती मजबूरी अनमोल जीवन उसकी दी जिंदगी छोड़ चुपचाप चले वो जाते  ,  दर्द आँसू ...

अध्याय

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