80 भाग
317 बार पढा गया
8 पसंद किया गया
कविता गुलाल की लाली राजीव कुमार झा मेरी जान आज तुमसे मेरी पहचान यौवन की शान खूबसूरती की तलवार तुमने निकाली दीपों से जगमग यह रात काली ओ भले घरवाली तेरे ...