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हरिहरपुरी के सोरठे होता जब है रार, शांति यमघट में जाती। छोड़ सकल तकरार, सुख का नित सेवन करो।। जोड़ प्रेम का तार,सारे दिल मिल एक हों। बने एक संसार, सहज ...