मदिरा सवैया

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मदिरा सवैया हे प्रभु दीनदयाल सदा मनमोहन रूप धरा करिये। नाथ तुम्हीं जगदीश बने सब के दुख को हरते रहिये। क्रोध नहीं करना प्रभु जी अति शांत उदार बने चलिये। पीर ...

अध्याय

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