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हरिहरपुरी के सोरठे जब आता संतोष, कामना मिटती जाती। सदा आत्म को पोष,आशुतोष का भाव यह।। अपना जीवन पाल, सदा रहो सत्कर्म रत। सत्कर्मों का हाल, सहज शुभप्रद सुखदायी।। मन से ...