251 भाग
226 बार पढा गया
7 पसंद किया गया
हरिहरपुरी का छप्पय छंद जग को माया जान, फँसो मत इस वंधन में। ढूढ़ मुक्ति की राह, कामना शुभतर मन में।। डरो नहीं संसार से, हो निश्चिंत चला करो। सहो फजीहत ...