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वर्ण पिरामिड आ जाओ घर में जाना मत बने रहना लोग तरसते तुम अनमोल हो कभी बाहर न रह दीदार तेरा हो सतत। छू लेना बहुत मनहर छाँव शीतल शील बनकर ...