मेरी पावन शिवकाशी

251 भाग

321 बार पढा गया

6 पसंद किया गया

मेरी पावन शिवकाशी मन में सुंदर भाव यही हो, बनना है काशीवासी; शिवशंकर भोलेबाबा को, जपने का बन अभ्यासी; गली-गली में विश्वनाथ का, डमरू खूब बजाना है; धूम मचाओ भंग जमाओ, ...

अध्याय

×