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मेरी पावन शिव काशी गायेंगे हम दोनों जमकर,वरुणा-अस्सी के संगम; नाचेंगे हम झूम-झूम कर, बड़े प्रेम से नित हरदम; हाथ मिलाकर अंक में भरकर, मुस्कएँगे रात-दिवस; तड़प रहा है भावुक मन ...