दिव्य भाव

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दिव्य भाव (सजल) दिव्य भाव बनकर बहना है। सुंदर मानव सा रहना है।। कदम-कदम पर धाम बनाओ। उत्तम कर्म सदा करना है।। आकर्षक हों कर्म निरन्तर। सात्विक भाव सदा गढ़ना है।। ...

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