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मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया गौतम बुद्ध महान में,लोग खोजते दोष। अच्छाई दिखती नहीं, सिर्फ दोष-संतोष।। सिर्फ दोष-संतोष, मनुज है कायर माया। सुंदरता का अर्थ, नहीं जानत मन-काया।। कहें मिसिर कविराय,गढ़त जो ...