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हरिहरपुरी के दोहे प्रेम भाव मानव महा, मूरत परम विशिष्ट। कोमल चित्त कृपाल नित, अतिशय पावन शिष्ट।। प्रेम सकल ब्रह्माण्ड का, नायक दिव्य महान। इस नायक के रूप में, केवल हैं ...