हरिहरपुरी के सोरठे

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हरिहरपुरी के सोरठे सबसे बुरा कुसंग, सत्संगति धारण करो। सदा रहे मन चंग, हो यह पावन अति सहज।। सदा बदलता रंग,नहीं पावन हो सकता। जो करता सत्संग,वह बड़ भागी मनुज है।। ...

अध्याय

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