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मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया देना है यदि हृदय से, दो मुझको प्रिय चीज। बहुत बड़ी वह चीज है,पावन मन का बीज।। पावन मन का बीज, वृक्ष बनकर उगता है। देता शीतल ...