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हरिहरपुरी की कुण्डलिया पावन मन कैसे बने , इस पर सोच विचार। विकृति बाहर फेंकते, करते रह उपचार।। करते रह उपचार, दया सब के प्रति रखना। सब के मन को सींच, ...