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हरिहरपुर के मिसिर की कुण्डलिया करना अगर विकास है, पित्त मार कर कर्म। कर्मों में अधिकार को, समझो सच्चा धर्म।। समझो सच्चा धर्म, कर्म का सेवन करना। यह जीवन का सार,कर्म ...