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हरिहरपुरी की कुण्डलिया जो जो मिले मिला करो,अभिवादन को बाँट। अभिनंदन के पंथ पर, चल कर जीवन काट।। चल कर जीवन काट, हृदय से गले लगाना। छोड़ दंभ अभिमान, मिलन के ...