मेरे कान्हा

15 भाग

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सुनकर तेरी मुरली की धुन दौड़ी दौड़ी वो आती थी।। निधिवन के पावन कुंजो में पाकर तुम्हे खो जाती थी।। भूल कर सारे गृह दायित्वों को कृष्ण नाम रस पाती थी।। ...

अध्याय

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