मेरे कान्हा

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मेरे कान्हा! जब देखी थी तेरी मोहिनी मूरत चाह बढ़ी तेरे दर्शन की पथ पकड़ भक्ति राह की पहुंच गयी वृन्दावन थी गिरधर गोपाल!गिरधर गोपाल गाते गाते हो गयी वो, प्रेम ...

अध्याय

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