हरिहरपुरी की कुण्डलिया

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हरिहरपुरी की कुण्डलिया शोधन से है जागता, मन में पावन भाव। मन-उर-आतम का सतत, बनता मधुर स्वभाव।। बनता मधुर स्वभाव, सभी परिवर्तित दिखते। पकड़े सुंदर राह, सभी प्रिय मानव बनते।। कहें ...

अध्याय

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