कबीर दास जी के दोहे

404 भाग

33 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

गुरू मूर्ती गती चंद्रमा, सेवक नैन चकोर आठ पहर निरखता रहे, गुरू मूर्ती की ओर।।  ...

अध्याय

×